परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षक भर्ती में धांधली का भंडाफोड़, दो सस्पेंड : टीईटी-11 के रिजल्ट के आधार पर शिक्षक भर्ती की जा रही है उसमें बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात आई सामने
इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में बड़ी धांधली का भंडाफोड़ हुआ है। जिस टीईटी-11 के रिजल्ट के आधार पर शिक्षक भर्ती की जा रही है उसमें बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात सामने आई है। छेड़छाड़ के आरोप में यूपी बोर्ड के सचिव अमरनाथ वर्मा ने सोमवार को दो कर्मचारियों निलम्बित कर दिया।
शुरुआती जांच में टीईटी-11 में फेल 400-450 अभ्यर्थियों को दस्तावेजों में हेरफेर के बाद पास किए जाने की बात सामने आई है। इस प्रकरण की जांच के लिए अपर सचिव प्रशासन राजेन्द्र प्रताप को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। दरअसल 25 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीईटी-11 की मेरिट पर 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी।
इसके बाद कुछ अभ्यर्थियों ने टीईटी-11 के डुप्लीकेट और संशोधित अंकपत्र जारी करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका की क्योंकि 2012 से चल रही जांच के कारण दस्तावेज कानपुर पुलिस के कब्जे में थे। यही कारण था कि टीईटी-11 के संशोधित अंकपत्र भी जारी नहीं हो रहे थे।
हाईकोर्ट के आदेश पर टीईटी-11 के संशोधित अंकपत्र जारी करने के लिए यूपी बोर्ड ने कम्प्यूटर एजेंसी से टीआर (टेबुलेशन रिकार्ड-जिसके आधार पर वेरीफिकेशन होता है।) छपवाया। सूत्रों के अनुसार टीआर में 400-450 ऐसे अभ्यर्थियों को पास कर दिया गया जो टीईटी-11 में फेल थे।
बोर्ड ने इनमें से कुछ फेल अभ्यर्थियों को पास का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया। जांच में धांधली का पता चलने पर बोर्ड ने कुछ फर्जी अंकपत्र हासिल किए। प्रारंभिक जांच के बाद सोमवार को अभिलेख सेक्शन के प्रधान सहायक बृजनंदन और वरिष्ठ सहायक संतोष श्रीवास्तव को निलम्बित कर दिया गया। बोर्ड सचिव अमरनाथ वर्मा ने टीईटी-11 के रिकार्ड में छेड़छाड़ करने पर दो कर्मचारियों को निलम्बित किए जाने की पुष्टि की है।
अभिलेख सेक्शन के दो कर्मचारियों को टीआर के पन्ने बदलने पर निलम्बित किया गया है। बोर्ड ने अवैधानिक तरीके से जारी कुछ अंकपत्र बरामद भी किए हैं। आरोप 100 प्रतिशत प्रमाणित है। दायित्वों का निर्वहन नहीं करने पर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अपर सचिव प्रशासन मामले की जांच करेंगे।
अमरनाथ वर्मा, सचिव यूपी बोर्ड
कर्णिक संघ ने की न्यायिक जांच की मांग
यूपी बोर्ड के दो कर्मचारियों के निलम्बन पर माध्यमिक शिक्षा परिषद कर्णिक संघ ने प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की है। संघ का कहना है कि जिन फेल अभ्यर्थियों को पास का सर्टिफिकेट जारी किया गया उनके खिलाफ भी एफआईआर कराई जाए ताकि सारे तथ्य सामने आ सके। निष्पक्ष जांच के लिए किसी सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति से जांच कराई जाए।
अफसरों की मिलीभगत से हुई हेराफेरी?
टीईटी-11 के रिकार्ड से छेड़छाड़ का मामला सिर्फ क्लर्कों तक सीमित नहीं है। यदि मामले की निष्पक्ष जांच होती है तो कुछ अफसरों भी फंस सकते हैं। प्रारंभिक जांच में 400-450 ऐसे अभ्यर्थियों को पास किए जाने की बात सामने आ रही है जो वास्तव में फेल थे। सवाल यह उठता है क्या कम्प्यूटर एजेंसी ने बाबुओं के कहने पर टीआर में 400-450 फेल अभ्यर्थियों को पास कर दिया। यह लगभग असंभव सी बात है। क्योंकि बगैर किसी जिम्मेदार अफसर के आदेश पर कम्प्यूटर एजेंसी इतनी बड़ी संख्या में फेल अभ्यर्थियों को टीआर में पास नहीं दिखा सकती। हालांकि अफसर दस्तावेजों से छेड़छाड़ का ठीकरा क्लर्कों पर ही फोड़ रहे हैं।
टीईटी-11 पर शुरू से उठते रहे हैं सवाल
प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को यूपी बोर्ड द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर शुरू से सवाल उठते रहे हैं। टीईटी-11 के रिजल्ट में छेड़छाड़ के आरोप में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति संजय मोहन को जेल तक जाना पड़ा। मामले की जांच कर रही कानपुर पुलिस ने फरवरी 2012 में तत्कालीन निदेशक को गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
पहले भी हो चुकी है रिकार्ड से छेड़छाड़
यूपी बोर्ड के रिकार्ड से छेड़छाड़ का यह पहला मामला नहीं है। पहले भी इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय में छेड़छाड़ पर कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। दो साल पहले टीआर के कुछ पन्ने फाड़ दिए गए थे। इस मामले में तत्कालीन क्षेत्रीय सचिव प्रदीप कुमार ने एफआईआर कराई थी |
खबर साभार : हिन्दुस्तान/दैनिकजागरण
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