परिषदीय प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए सामान्य का 500 व ओबीसी के लिए 250 रुपये का था चालान : शासनादेश के बाद भी नहीं लौटी अभ्यर्थियों की फीस
कानपुर: परिषदीय प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए दो बार भरे गए आवेदनों में हजारों अभ्यर्थियों का धन फंस गया है। 2012 दिसंबर में दोबारा भरे ऑनलाइन फॉर्मो की फीस वापसी के आदेश के बाद भी अब तक धन वापस नहीं हो सका है। इस संबध में हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासनादेश भी जारी हो गया लेकिन अभी तक एक भी अभ्यर्थी को राहत नहीं मिली।
प्रदेश में चल रही 72825 सहायक शिक्षकों के पदों की भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2011 बसपा शासनकाल में निकली विज्ञप्ति के आधार पर भरे गए मैनुअल फार्माें से हो रही है जबकि वर्ष 2012 में आई सपा सरकार ने इस भर्ती के लिए ऑनलाइन फार्म मांगे थे। इसमें हर जिले के लिए एक सामान्य अभ्यर्थी को 500 रुपये और ओबीसी के लिए 250 रुपये का चालान जमा करना था, जबकि एससी, एसटी और विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिये नि:शुल्क था। भर्ती प्रक्रिया कोर्ट में पहुंची तो कोर्ट ने 2011 में भरे गये फार्मो के आधार पर भर्ती करने के आदेश दिए। साथ ही ऑनलाइन फार्म भरने में जमा हुई फीस को वापस करने के निर्देश दे दिए। करीब तीन माह पहले फीस वापसी के लिए शासनादेश भी जारी हो गया, लेकिन इसका पालन करने का ध्यान नहीं रहा।
72825 पदों पर भर्ती के लिये प्रदेश में करीब 79 लाख ऑनलाइन फार्म भरे गए। एक-एक अभ्यर्थी ने करीब 40 से 50 जिलों से फार्म भरा। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले कानपुर नगर में रिक्त 12 पदों के सापेक्ष 28 हजार फार्म आए थे, जिनमें से करीब 16500 सामान्य अभ्यर्थी थे, 11 हजार ओबीसी के फार्म आए थे। करीब 1050 एससी, एसटी, विकलांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वर्ग के अभ्यर्थियों ने फार्म भरे थे। इनके लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं था।
सामान्य के लिए 500 व ओबीसी के लिए 250 रुपये का था चालान2011 में भरे गये मैनुअल फार्माें की फीस शासन के खाते में जमा कर दी गई थी, इसके अलावा दोबारा हुई ऑनलाइन प्रक्रिया की फीस से डायट व जिलों का मतलब नहीं है।
-केके ओझा, प्राचार्य नर्वल डायट
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