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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मिड-डे मील में बच्चों को नहीं दिया गया दूध : बगैर बजट दूध बांटने से शिक्षकों ने खड़े किए हाथ,कहा- महज 3.59 रुपये में कोफ्ता-चावल के साथ दूध देना संभव नही

मिड-डे मील में बच्चों को नहीं दिया गया दूध : बगैर बजट दूध बांटने से शिक्षकों ने खड़े किए हाथ,कहा- महज 3.59 रुपये में कोफ्ता-चावल के साथ दूध देना संभव नही

√बगैर बजट दूध बांटने से शिक्षकों ने खड़े किए हाथ,

√कहा- महज 3.59 रुपये में कोफ्ता-चावल के साथ दूध देना संभव नही

लखनऊ । बिना बजट मिड डे मील में हर बुधवार बच्चों को दूध देने के मुद्दे पर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। शिक्षक संगठनों ने साफ कह दिया है कि महज 3.59 रुपये में कोफ्ता और चावल के साथ 200 मिलीलीटर दूध उपलब्ध कराना संभव नहीं है। बुधवार को राजधानी के ज्यादातर स्कूलों में बच्चों को कोफ्ता और चावल के साथ दूध नहीं मिला। काकोरी, सरोजनीनगर और नगर क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों को अक्षय पात्र संस्था, अनुदानित संस्थानों में एनजीओ और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में विद्यालय प्रबंध समिति भोजन देती है। बता दें सरकार ने 15 जुलाई से परिषदीय और अनुदानित स्कूलों में मिड डे मील के तहत बच्चों को दूध देने की व्यवस्था शुरू की है।
सूबे के परिषदीय व अनुदानित स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के साथ ही पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत हर दिन के भोजन का मेन्यू तय किया हुआ है। भोजन के लिए राशन राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम देता है जबकि खाना बनाने की लागत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से मिड डे मील प्राधिकरण देता है। खाना बनाने की लागत ( कन्वर्जन कास्ट) प्राइमरी कक्षाओं में प्रति बच्चा 3.59 रुपये और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 5.38 रुपये प्रति बच्चा निर्धारित है। इसमें ईंधन, मसाले और तेल आदि की व्यवस्था होती है। 15 जुलाई से मेन्यू में इस बार हर बच्चे को 200 मिलीलीटर दूध भी दिया जाना है लेकिन सरकार ने अलग से कोई बजट जारी नहीं किया है।

बगैर बजट दूध बांटने से शिक्षकों ने खड़े किए हाथ,
कहा- महज 3.59 रुपये में कोफ्ता-चावल के साथ दूध देना संभव नहीं

जिस कन्वर्जन कास्ट में बमुश्किल खाना बन पाता है, उसी में दूध देने की उम्मीद करना बेमानी है। सरकार को बच्चों के दूध के लिए अलग से बजट जारी करना चाहिए।
-वीरेंद्र सिंह, जिला महामंत्री, प्राथमिक शिक्षक संघ

मिड डे मील में बच्चों को दूध दिया जाना अच्छा कदम है। इसके लिए सरकार को अलग से बजट देना चाहिए। बिना बजट दूध देने की आदेश से फर्जीवाड़े को बढ़ावा मिलेगा।
-विनय सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन

अवध के कई जिलों में भी योजना फ्लॉप
लखनऊ। प्रदेश सरकार की दूध वितरण योजना अवध के कई जिलों पूरी तरह फ्लॉप रही। ज्यादातर परिषदीय स्कूलों में दूसरे बुधवार को भी दूध का वितरण नहीं हो सका जबकि कई स्थानों पर सिर्फ रस्म अदायगी की गई। अंबेडकरनगर के ज्यादातर स्कूलों में दूध का वितरण ही नहीं हुआ इस बार भी विभागीय व प्रशासनिक अधिकारियों ने अलग अलग क्षेत्रों में स्कूलों का जायजा लिया। सभी जगह योजना की तस्वीर काफी चिंताजनक नजर आई। बहराइच में बच्चों को नये मेन्यू के तहत भोजन परोसा गया। साथ ही दूध भी पिलाया गया। बाराबंकी के अधिकांश विद्यालयों ने दूध का वितरण नहीं हुआ। कुछ स्थानों पर प्रधानाचार्यों ने नौकरी बचाने के लिए अपने पैसे से दूध का इंतजाम किया। फैजाबाद में भी दूध देने की दूसरे बुधवार को भी बेपटरी रही। इस बार सत्यापन के लिए कई विभागों समेत लेखपालों को लगाया गया था। मगर जिले में अधिकतर विद्यालयों में दूध का प्रबंध नहीं हो सका। गोंडा के 50 से 55 प्रतिशत विद्यालयों में ही बच्चों को दूध पिलाया गया। इनमें भी तमाम स्कूलों में दूध में पानी मिलाकर पिलाया गया। रायबरेली में कई स्कूलों में नौकरी बचाने के लिए शिक्षकों ने अपने पैसे से दूध खरीदा |

     खबर साभार : अमरउजाला

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