बच्चों को दूध पिलाओगे या पानी : 3.35 लाख बच्चों को पिलाना होगा 67 हजार लीटर दूध; विभाग ने अभी तक नहीं बनाया है प्लान
बरेली। प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को 200 मिली लीटर दूध पिलाने की योजना 15 से शुरू होने का खाका तो तैयार कर लिया गया है लेकिन दूध कहां से आएगा इसपर शायद पूरी तरह नहीं सोचा गया है। जिले में अभी करीब 1.8 लाख लीटर दूध की डिमांड है जबकि सारा जोर लगाने के बाद भी सिर्फ 90 हजार लीटर दूध उपलब्ध हो पा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बरेली के 3.35 लाख बच्चों को पिलाने के लिए 67 हजार लीटर दूध की अतिरिक्त व्यवस्था कहां से होगी? जाहिर है कि इस दूध में या तो पानी होगा या फिर योजना बहुत दिन नहीं टिकेगी।
प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील का नया मेन्यू जारी कर दिया गया है। अब बुधवार को कोफ्ता चावल के साथ हर एक बच्चे को 200 मिली गरम दूध उपलब्ध कराया जाएगा। जिले में कुल 3.35 लाख बच्चे हैं जिन्हें मिड डे मील के साथ दूध दिया जाना है। यानी करीब 67 हजार लीटर दूध की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती है।
जिला दुग्ध संघ अध्यक्ष लल्लू सिंह यादव के अनुसार जिले में एक लाख आठ हजार लीटर दूध की डिमांड हैं। इसके सापेक्ष केवल 90 हजार लीटर दूध की आपूर्ति हो रही है। इसमें 20 हजार लीटर सड़क के माध्यम से आता है और 20 हजार लीटर पैकेट कंपनी का दूध है। 403 डेयरी कुल 50 लीटर दूध की जरूरत पूरा करती हैं। यानी जिले में पहले से ही 18 हजार लीटर दूध की कमी है।
खरीदेंगे कैसे
मौजूदा समय में एक बच्चे पर 3 रुपये 59 पैसा मिड डे मील के लिए खर्च किया जा रहा है। ऐसे में 200 मिली दूध आना पाना मुश्किल है। शहर में मिड डे मील बांटने वाली संस्था ने इसे लेकर हाथ भी खडे़ कर दिए हैं। अभी तक इसके लिए अलग से बजट नहीं आया है। विभाग बच्चों को मिलावटी दूध से कितना बचा पाता है यह उसके लिए चुनौती होगी। इस समय पैकेट का दूध 48 रुपये लीटर और डेयरी का दूध 45 से 50 रुपये प्रति लीटर है। इस तरह से 200 मिली दूध की कीमत करीब 10 रुपये होगी। इसके लिए अलग से कोई बजट नहीं आया है। लल्लू यादव के अनुसार जिले में इस समय मिलावटी दूध का बाजार करीब 30 हजार लीटर है।
विभाग ने अभी तक नहीं बनाया है प्लान
दोपहर को भोजन बांटने वाली संस्था राष्ट्रीय निर्मल उत्थान संस्थान ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात कर इस विषय पर सोचने को कहा है। जिले में तीन लाख 35 हजार छात्रों को दूध बांटना है। लेकिन न तो यह तय किया गया है कि क्षेत्र में दूध कहां से मुहैया कराया जाएगा और दूध कैसे बंटेगा।
दूध बांटने में व्यवहारिक दिक्कतें हैं, जिसका विरोध पूरे प्रदेश में है। मैंने बीएसए को सारी परेशानी बता दी है। दूध बांटने से लेकर उसकी उपलब्धता भी देखनी है। जो मुश्किल है।
-सुरेश कुमार, निदेशक, राष्ट्रीय निर्मल उत्थान संस्थान
शासन स्तर से जो निर्देश मिले हैं उसके अनुसार कैसे भी करके दूध बांटना पड़ेगा। शहर में एनजीओ और गांवों में प्रधान इसकी जिम्मेदारी संभालेंगे। दिक्कतें हमारे सामने भी आई हैं। 14 जुलाई को मिड डे मील प्राधिकरण के साथ प्रदेश स्तर की बैठक है। हो सकता है कोई हल निकले।
-गौरव तिवारी, जिला समन्वयक, मिड डे मील
खबर साभार : अमरउजाला
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