सरकारी फरमान पर फाइलों से होते हुए धीरे-धीरे बच्चों के गिलास तक गरम दूध : शासन के निर्देश पक परिषदीय स्कूलों में 200 मिली ग्राम गरम दूध बच्चों को बुद्धवार को दिया जा रहा
गोरखपुर : सरकारी फरमान पर फाइलों से होते हुए धीरे-धीरे बच्चों के गिलास तक गरम दूध पहुंचने लगा है। प्रत्येक बुधवार को मध्याह्न भोजन के साथ बच्चों को दूध देने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के प्रति जागरुकता बढ़ने लगी है। हालांकि, अब भी अधिकतर पार्षद, ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक इस योजना को लेकर उदासीन बने हैं। इसके बाद भी शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन का प्रयास है कि सभी बच्चों के गिलास में दूध हो।
इस योजना के तीसरे बुधवार को जिलाधिकारी रंजन कुमार ने खुद दूध वितरण व्यवस्था का हाल जाना। मुख्य विकास अधिकारी कुमार प्रशांत और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश यादव को साथ लेकर वह बालापार स्थित प्राथमिक विद्यालय प्रथम और द्वितीय पहुंच गए। निरीक्षण के दौरान पठन-पाठन का माहौल व्यवस्थित पाया गया। प्रथम में 128 की जगह 125 और द्वितीय में 64 की जगह 57 बच्चे पढ़ने आए थे। जिलाधिकारी ने बच्चों को अपने हाथों से दूध पिलाया। साथ ही संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि संबंधित लोग, अभिभावक और बच्चों को इसके प्रति जागरूक करें। कमियों को दुरुस्त कर हर बच्चों के गिलास तक दूध पहुंचाएं। मध्याह्न भोजन योजना के जिला समन्वयक दीपक पटेल ने बताया कि जिले के कुल 3210 परिषदीय विद्यालयों की निगरानी कराई गई। जिसमें 2610 स्कूलों में दूध का वितरण हुआ है। 81 फीसद विद्यालयों में दूध पहुंचा है। जबकि, पिछले बुधवार को 73 फीसद विद्यालयों में दूध पहुंचा था। अगले बुधवार को संख्या बढ़ाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
---
ग्रामीण क्षेत्र आगे, नगर अब भी फिसड्डी
दूध वितरण योजना में ग्रामीण क्षेत्र आगे चल रहे हैं। सरदारनगर क्षेत्र में 94, बासगांव में 93, खजनी और सहजनवां में 91-91 फीसद स्कूलों में दूध का वितरण हुआ। महानगर की स्थिति यह रही कि यहां के महज 70 फीसद विद्यालयों में दूध पहुंचा। कौड़ीराम 67 को छोड़ दिया जाए तो अन्य क्षेत्र नगर से बेहतर रहे। हालांकि, पिछले बुधवार से स्थिति अच्छी रही लेकिन रावत पाठशाला आदि विद्यालयों मे दूध नहीं पहुंचा।
---
बच्चों को मिलेगा 200 मिली ग्राम दूध
सरकार के निर्देश पर परिषदीय विद्यालयों के हर बच्चे को हर बुधवार को 200 मिली ग्राम गरम दूध दिया जाना है। मध्याह्न भोजन चावल-कोफ्ता के साथ दूध दिया जाना है। अगर बुधवार को अवकाश पड़ता है तो अगले दिन विद्यालय खुलने पर दूध दिया जाएगा। योजना की शुरुआत 15 जुलाई को हुई थी।
खबर साभार : दैनिकजागरण
0 Comments