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नौकरियों में जातिगत आरक्षण का आंकड़ा बताए यूपी सरकार;यूपी लोक सेवा आयोग से कहा, पिछले दरवाजे से नियुक्तियां न करें : हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

नौकरियों में जातिगत आरक्षण का आंकड़ा बताए यूपी सरकार;यूपी लोक सेवा आयोग से कहा, पिछले दरवाजे से नियुक्तियां न करें : हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित कृषि अधिकारी चयन परीक्षा में मनमाने तरीके से आरक्षण लागू करने की शिकायत पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, बेहतर हो कि आयोग पिछला दरवाजा बंद कर सामने से नियुक्तियां करे। अदालत ने मुख्य सचिव से एक माह के भीतर सरकारी नौकरियों में जातिगत प्रतिनिधित्व का आंकड़ा मांगा है।

कोर्ट ने कहा, यदि आंकड़ा नहीं दिया जाता है तो मुख्य सचिव को अदालत में मौजूद होना होगा। न्यायमूर्ति वीके शुक्ल और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कृषि अधिकारी पद की परीक्षा में ओबीसी को अप्रत्याशित रूप से अत्यधिक आरक्षण देने को चुनौती देनी वाली याचिका पर यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा कि सरकार यदि चयन प्रक्रिया जारी रखती है तो वह इस याचिका पर हुए निर्णय के अधीन रहेगी। याचिका पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी। पीठ ने याची मनीष उपाध्याय को कृषि अधिकारी के पद पर चयनित अभ्यर्थियों की सूची देने के लिए आयोग को निर्देश दिया है। इन सभी को याचिका में पक्षकार बनाया जाएगा।अदालत इससे पूर्व भी जातियों के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा मांग चुकी है मगर सरकार ने इसे उपलब्ध नहीं कराया। याची के वकीलों अनिल बिसेन और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आयोग विभिन्न जातियों के श्रेणीवार रिक्त पदों पर नियुक्ति करने का दावा करता है जबकि स्वयं उसके पास कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

आरक्षण कानून को भी चुनौती : कृषि अधिकारी पद को लेकर तीन अन्य याचिकाएं भी पूर्व में दाखिल की जा चुकी हैं। अदालत ने इन सभी पर आयोग से जवाब तलब करते हुए नियुक्तियों को अपने निर्णय के अधीन रखा है। दो याचिकाओं में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा तीन को रद करने की प्रार्थना भी की गई है। एकल न्यायपीठ ने इसी आधार पर सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए संबद्ध करते हुए इनको खंडपीठ में सुने जाने के लिए संदर्भित कर दिया था।

          यह है मामला:-

 याचिका के मुताबिक, कृषि अधिकारी पद के विज्ञापन में पिछड़ा वर्ग के लिए पहले 566 सीटें आरक्षित थीं। परिणाम घोषित हुआ तो ओबीसी की सीटें बढ़ाकर 2030 कर दी गईं। वहीं सामान्य और अनुसूचित जाति की सीटें घटा दी गई। आयोग ने आरक्षण नियमों को मनमाने तरीके से लागू कर आरक्षण नियमावली का भी उल्लंघन किया है।

      खबर साभार : अमरउजाला

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