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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

स्कूलों में नहीं बांटी गईं पुस्तकें;रद्दी में धूल खा रहीं बच्चों की किताबें : बीएसए ने कहा किताबों का रख-रखाव सही होना चाहिए

स्कूलों में नहीं बांटी गईं पुस्तकें;रद्दी में धूल खा रहीं बच्चों की किताबें : बीएसए ने कहा किताबों का रख-रखाव सही होना चाहिए

बंथरा के स्कूल में ढेर लगीं किताबें

"हम थोड़ी-थोड़ी किताबें नहीं बांट सकते। जो भी किताबें बचती है उसे अगली खेप में ही बांटने का नियम है। हालांकि किताबों का रखरखाव सही से होना चाहिए।"
- प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए

लखनऊ : शहर के सरकारी स्कूलों में जहां बच्चों को पुरानी किताबें दी जा रही हैं वहीं स्कूलों में पिछले सत्र की नई किताबें रद्दी के ढेर में तब्दील हो रही है। बीते गुरुवार को एनबीटी ने प्राथमिक विद्यालय नटकुर में धूल खा रही किताबों की खबर छापी थी। उसके बाद जब शहर के दूसरे विद्यालयों का मौका मुआयना किया गया तो वहां भी ऐसा ही नजारा दिखाई दिया। प्राथमिक विद्यालय बंथरा में भी किताबें रद्दी के ढेर की तरह रखी हैं। सीलन और दीमक से किताबें खराब हो रही हैं लेकिन कोई इनका पुरसा हाल लेने वाला नहीं है।

यहां भी किताबें कबाड़

प्राथमिक विद्यालय नटकुर और बंथरा के अलावा प्राथमिक विद्यालय बिजनौर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय मुजफ्फरनगर घुसवल और सरोजनीनगर के बीआरसी केंद्र पर उर्दू की किताबों का ढेर लगा है। यहां के शिक्षकों ने बताया कि सभी किताबों को यहां लाए लगभग एक साल हो चुका है। यह बात सभी अधिकारियों के संज्ञान में है लेकिन कोई भी किताबें उठाने नहीं आता। बस ये कहा जाता है कि अगले सत्र में किताबें बांट दी जाएंगी लेकिन सवाल ये है कि जब किताबें दुरुस्त होंगी तभी तो बांटी जाएंगी। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग किताबों का वितरण एक साथ ही करता है। लेकिन अगर वह पहले वितरण नहीं कर सकता तो कम से कम किताबों की सुरक्षा तो कर सकता है। अभी स्कूलों में छुट्टियां चल रही हैं। ऐसे में जब तक इन्हें बांटने का नंबर आएगा तब तक यह किताबें और खराब हो चुकी होंगी।

      खबर साभार : नवभारतटाइम्स

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