एक समय था जब अध्यापक स्कूल पहुंचते तो लोग घड़ी मिला लेते थे, लेकिन अब...शिक्षकों के कारण शिक्षा का स्तर गिरा : बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री वसीम अहमद
लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री वसीम अहमद ने गुरुवार को शिक्षकों के बीच खरी खरी कही। बोले, एक समय था जब अध्यापक स्कूल पहुंचते तो लोग घड़ी मिला लेते थे, लेकिन अब समय की पाबंदी तो दूर स्कूल पहुंचना भी शिक्षकों को बोझ लगता है। यह हाल तब है जबकि सरकार ने अध्यापकों की तैनाती उनके घर के बगल में कर रखी है। अध्यापकों की वजह से ही अब रिक्शे वाला भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाने से कतराता है।
गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पैक्स संस्था द्वारा आयोजित स्कूल प्रबंध समिति सदस्यों के सम्मेलन में राज्यमंत्री ने अध्यापकों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सरकार अध्यापकों की हर मांग पूरी कर रही है। बावजूद इसके अध्यापक अपना काम सही तरह से नहीं कर रहे। लोग कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं। सरकारी स्कूल में जो कमजोर और शोषित वर्ग के बच्चे पढऩे पहुंच भी रहे हैं, उन्हें गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही। राज्यमंत्री ने कहा कि जिस गांव में अध्यापक समय से स्कूल न आते हों, लोग उन्हें चिट्ठी लिखकर सूचना दें।
अधिकारियों की भी हो परीक्षा
राज्यमंत्री ने कहा कि जनता नेता की तो हर पांच साल में परीक्षा ले लेती है। वहीं अधिकारी व कर्मचारी एक बार परीक्षा दे देते हैं, फिर पूरी नौकरी चलती रहती है। इन सभी की भी समय-समय पर परीक्षा होनी चाहिए।
उसी स्कूल में पढ़ें अध्यापक के बच्चे
पूर्व एमएलसी राकेश सिंह राणा ने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार तभी हो सकता है, जब अध्यापकों के बच्चे भी उनकी तैनाती वाले स्कूल में ही पढ़ें। उन्होंने अध्यापकों का दूसरे जिले में स्थानांतरण पर जोर दिया।
दस फीसद स्कूलों में शिक्षा का कानून-
आरटीई फोरम के संयोजक अंबरीश राय ने कहा कि देश में 14 लाख सरकारी स्कूल हैं जिनमें 10 फीसद में ही सही से शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो पाया है। अभी स्कूलों में 12 लाख अध्यापकों की कमी है।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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