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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मन की बात : झाँक गिरेबाँ ऐ जमाने;शिक्षक को शिक्षक ही रहने दीजिये बहुउद्देशीय कर्मी की हालत कर दी जिसकी इस व्यव्स्था ने…………

मन की बात : झाँक गिरेबाँ ऐ जमाने;शिक्षक को शिक्षक ही रहने दीजिये बहुउद्देशीय कर्मी की हालत कर दी जिसकी इस व्यव्स्था ने…………

आज का अखबार देखा । ऐसा लगता है जैसे प्रदेश सरकार के मंत्रियों में बेसिक शिक्षकों को अशोभनीय वक्तव्य देकर अपमानित करने की होड़ सी लगी हो । विभागीय मंत्री के बाद कल एक और मंत्री ने शिक्षकों के वेतन पर करोड़ों खर्च होने पर भी स्तर में सुधार न होने की बात कही ।

क्या मात्र शिक्षकों के वेतन पर ही खर्च हो रहा है ?? क्या बाकी सब मुफ़्त में कार्य कर रहे ??? प्रदेश के मंत्री, आयोगों के अध्यक्ष क्या बिना वेतन के कार्य कर रहें हैं ? लाखों रूपये वेतन और गैर क़ानूनी रुप से अरबों रुपये कमाने वाले ये अधिकारी और मंत्री क्या कार्य करते हैं ये किसी से छिपा नहीं है । वास्तव में शिक्षक नहीं बल्कि ये अधिकारी और मंत्री ही बोझ है हमारे राज्य पर । ये अधिकारी - मंत्री शिक्षा व्यवस्था में घुन की तरह घुसकर उसे खाये जा रहे है और दोष शिक्षक को देते हैं । इन बेवकूफों को ये नहीं पता कि राज्य की अधिकांश योजनाओं का संचालन शिक्षक ही करते हैं जिस दिन उन्होंने हाथ खींच लिया आधे विभाग बंद हो जायेंगे ।

शिक्षको को साजिशन उनके मूल कार्य "कक्षा शिक्षण" से दूर करते हुए अन्य समस्त कार्य यथा BLO, MDM, household survey, जनगणना, जातिगणना, तम्बाकू उन्मूलन, polio उन्मूलन, बाल गणना, बाल टीकाकरण, चुनाव, मतगणना, NGOके लिए सर्वे , प्रौढ़ गणना, ngo साक्षरता सर्वे, क्लर्क कार्य , लेखा कार्यालय में उपस्थिति, मासिक प्रगति आख्या, समाजवादी पेंशन सत्यापन, राशन कार्ड सत्यापन, साइकिल वितरण, SC /ST/OBC/MINORITY/GENERAL कास्ट वर्गीकरण, छात्र बैंक खाता खुलवाने, SMC बैठक, भवन व शौचालय निर्माण, हैण्डपम्प सुधार, रसोइया चयन , आधार कार्ड सत्यापन, राशन वितरण सत्यापन, इत्यादि कार्य करवाया जा रहा है। क्यों नही ये सभी कार्य राजस्व या अन्य किसी विभाग के कर्मी से कराये जाते???~ क्या कारण है कि इन कार्यों में कभी कोई शिकायत नही मिलती अध्यापकों की ?? क्यों डीएम से लेकर सीएम् तक अध्यापकों से ही शिक्षण से इतर हर काम लेने को ततपर रहते हैं ??

राज्य के अन्य कर्मियो यथा मेडिकल या तहसील के लेखपाल या vdo इत्यादि की तरह 12 माह के वेतन व ऊपरी कमाई के अतिरिक्त देय 30 दिन की Earned Leave ले रहे तथा यदि वे किसी कारण नही ले ये E.L. तो उन्हें इसके बदले 13वे माह का वेतन भी देय हो जाता है..... उनकी ड्यूटी इन सब में नही लगाई जाती ,आखिर क्यों ??? इन सब तक्लीफ़पूर्ण परिस्थितियों में सफलता पूर्वक कार्य सम्पन्न करने  के बाद भी यदि अध्यापक को अपने मानसिक तनाव से मुक्त होने के लिए नियमानुसार ग्रीष्मावकाश मिल रहा होता है तो उसमे भी blo, पोलियो , सूखा राहत व mdm की ड्यूटी लगाई जा रही। ये उत्पीड़न नही तो और क्या है ?? अध्यापक की वास्तविक कार्य परिस्थितियों से परिचित होने को मीडिया भी अनिच्छुक है क्योंकि उसकी खबर में अध्यापक को नकारात्मक बनाने में ही बिकाऊपन् आता है।

हकीकत में ये सारे हास्यास्पद और अशोभनीय बयान मात्र राजनैतिक लामबन्दी से अधिक कुछ नही जो स्वयं के निहित स्वार्थ की पूर्ति हेतु दिए जा रहे हैं।
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शिक्षक को शिक्षक ही रहने दीजिये
बहुउद्देशीय कर्मी की हालत कर दी जिसकी इस व्यव्स्था ने .....
झाँक गिरेबाँ अये जमाने ����������
     ~भाई महेन्द्र सिंह यादव की कलम से ||

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