मदरसा नियमावली में फंसे कई पेंच;न्याय विभाग ने लगाई कई आपत्तिया डेढ़,साल में भी नहीं बन पाई नियमावली : मुख्यमंत्री की घोषणा अभी तक नहीं हुई पूरी
लखनऊ (ब्यूरो)। मदरसा नियमावली में फिर तमाम पेंच फंस गए हैं। इसमें कई ऐसे प्रावधान कर दिए गए हैं जो मदरसा एक्ट में भी नहीं हैं। इस कारण न्याय विभाग ने कई आपत्तियां लगा दी हैं। उसने अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग से पूछा है कि इसमें जो प्रावधान किए गए हैं वे एक्ट में कहां हैं?
प्रदेश में अभी मदरसों के संचालन के लिए कोई नियमावली नहीं है। सरकार ने मदरसा शिक्षा के लिए नया एक्ट बनाया है। इस कारण पुरानी नियमावली अब प्रभावी नहीं रह गई। नियमावली न होने से मदरसों के संचालन में कोई एक नियम नहीं चल रहा है। इन पर सरकार का कोई अंकुश भी नहीं रह गया है। मदरसा संचालक भी अपनी पूरी मनमानी करते हैं। सबसे ज्यादा शोषण यहां शिक्षकों का होता है।
नियमावली न होने के कारण मदरसा शिक्षकों को प्रमोशन तक नहीं मिल पा रहा है। मदरसा चाहे अनुदानित हो या न हो, इसमें सारा खेल प्रबंधक ही करते हैं। वे शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी करते हैं। अनुदान में आने वाले मदरसों में प्रबंधक पैसा लेकर शिक्षकों की मनमानी नियुक्तियां तक कर देते हैं। कई बार ऐसे शिक्षकों को रख लिया जाता है जो पात्र नहीं होते।
इन्हीं सबको देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने करीब डेढ़ साल पहले नई मदरसा नियमावली मंजूर कर लागू करने की घोषणा की थी। लेकिन अभी तक यह फाइनल नहीं हो सकी है। सीएम ने इसके लिए अधिकारियों को दो माह का समय दिया था। अब जो नियमावली बनाई गई है उसमें ऐसे प्रावधान कर दिए गए हैं जो एक्ट में ही नहीं हैं। ऐसे में न्याय विभाग ने इसे अटका दिया है।
सूत्रों के अनुसार नियमावली मेें मदरसा शिक्षकों को हज पर जाने के लिए अवकाश की सुविधा, रमजान महीने में अवकाश देने जैसे बिंदुओं को भी समाहित कर लिया गया है।
खबर साभार : अमरउजाला
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