प्रदेश में आठवीं से पहले 50% छोड़ देते हैं पढ़ाई : आठ फीसदी स्कूल ही कर रहे आरटीई का पालन;प्रदेश में बने रेग्यूलेटरी मैकेनिज्म
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 50 फीसदी बच्चे आठवीं तक की शिक्षा लेने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। देश की बात करें तो ड्रॉप आउट का यह आंकड़ा 41 फीसदी है। सरकारों ने कहने को तो शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया लेकिन उसका पूरी तरह पालन नहीं हो रहा। ये बातें शिक्षा का अधिकार फोरम के राष्ट्रीय संयोजक अम्बरीश राय ने मंगलवार को यहां आयोजित राष्ट्रीय परिषद की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन कहीं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इस साल शिक्षा के लिए बजट को पांच हजार करोड़ रुपये कम कर दिया जिससे साफ जाहिर है कि वह इसे लेकर गंभीर नहीं। ऐसा लगता है कि सरकार प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए खुद सरकारी स्कूलों की स्थिति खराब करना चाहती है। यूपी में मुश्किल से 8 फीसदी ही ऐसे स्कूल हैं जो आरटीई के सभी प्रावधानों को लागू करते हैं। प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीबों को दाखिला न मिलना बड़ा मुद्दा है लेकिन कोई इस पर बात नहीं करता। अम्बरीश राय ने कहा, फोरम किसी भी बोर्ड की पढ़ाई में सूर्य नमस्कार को शामिल करने का विरोध करता है।
प्रदेश में बने फीस रेग्युलेटरी मैकेनिज्म -
बैठक में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने सभी राज्यों में फीस रेग्युलेटरी मैकेनिज्म बनाने की बात कही जिससे कि प्राइवेट स्कूलों में हो रही मनमानी फीस वसूली पर रोक लग सके। मांग उठी यूपी सरकार, बजट का कम से कम 20 फीसदी शिक्षा पर खर्च करे। सभी ने कहा कि जिनको भी सरकारी खजाने से वेतन भुगतान किया जाता है उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जाए।
नई एजुकेशन पॉलिसी पर चर्चा
नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बंगलूरू के शिक्षक डॉ. निरंजनाराध्य ने कहा कि केंद्र सरकार की नई एजुकेशन पॉलिसी में 13 थीम हैं लेकिन इस पॉलिसी में शिक्षकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे को ध्यान में नहीं रखा गया और शिक्षकों की ट्रेनिंग से ज्यादा तकनीक पर ध्यान दिया गया है। इसमें संविधान के मूल्यों को शामिल नहीं किया गया। स्टेट कलेक्टिव फॉर राइट टू एजुकेशन के सह संयोजक विनोद सिन्हा ने बताया कि बैठक के बाद जो भी मुख्य मुद्दे सामने आएंगे उनको नई शिक्षा नीति के लिए केंद्र सरकार तक ले जाया जाएगा। इनके लिए देशभर में आंदोलन भी होगा। बैठक में कर्नाटक से आए मुरली मोहन, तमिलनाडु से एन. मूर्ति, ओडिसा से अनिल प्रधान, झारखंड से एके सिंह, दिल्ली से ममता दास व रेश्मी भास्करन ने अपने विचार रखे।
राइट टू एजुकेशन फोरम की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने किया आरटीई पर मंथन
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