निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर नि:शुल्क एडमीशन पर हुई बहस : राज्य सरकार की ओर से तैयार किए गए आरटीई एक्ट की वजह से स्कूल प्रशासन पर बना अनावश्यक दबाव
लखनऊ। आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर निशुल्क एडमीशन पर बहस बढ़ गई है। इंडीपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया के बैनर तले राजधानी के सीएमएस के अलावा अन्य स्कूल भी इसका विरोध कर रहे हैं। इनका आरोप है कि राज्य सरकार की ओर से तैयार किए गए आरटीई एक्ट की वजह से स्कूल प्रशासन पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है।
यही वजह है कि शहर के स्कूल प्रबंधकों की एक बैठक रविवार को सीएमएस स्टेशन रोड परिसर में आयोजित की गई। वहीं दूसरी तरफ प्रबंधकों के एक वर्ग आरटीई के समर्थन में है, लेकिन वे इसमें कुछ फेरबदल की मांग का रहे हैं। बैठक में संगठन के पदािधिकारी मधुसुदन दीक्षित ने बताया कि केंद्र सरकार ने आरटीई का जो मॉडल दिया है, राज्य सरकार ने उसके उलट इसे लागू किया है। संगठन इसी का विरोध कर रहा है। सीएमएस का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस विद्यालय की इंदिरानगर शाखा में कुछ बच्चों के दाखिले को लेकर विवाद शुरू हुआ, जबकि जिन बच्चों के दाखिले यहां कराए जाने की बात हो रही है, उनके स्कूल के आसपास सरकारी और एडेड स्कूल भी हैं।
खबर साभार : डीएनए
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