logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

आम बजट में शिक्षा और एमडीएम का बजट घटा, उम्मीदें बढ़ीं : साल 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए 28, 635 करोड़ रूपए आवंटित लेकिन इस साल के बजट में मात्र 22,000 करोड़ रूपए आवंटित 

आम बजट में शिक्षा और एमडीएम का बजट घटा, उम्मीदें बढ़ीं : साल 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए 28, 635 करोड़ रूपए आवंटित लेकिन इस साल के बजट में मात्र 22,000 करोड़ रूपए आवंटित 

भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली मे लोकसभा में 2015-16 का बजट पेश करते हुए शिक्षा में गुणवत्ता और शिक्षण परिणामों में सुधार (स्टूडेंट लर्निंग आउटकम) को बेहतर बनाने की बात कही। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के बजट में कटौती की गई है।

साल 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए 28, 635 करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे। लेकिन इस साल के बजट में मात्र 22,000 करोड़ रूपए आवंटित किए गए है।

इस बारे में पहले ही चर्चा हो रही थी कि नई सरकार सामाजिक क्षेत्र पर होने वाले खर्चों में कमी लाएगी। यही बात मनरेगा के बारे में भी कही जा रही थी। लेकिन मनरेगा के बजट में 5,000 करोड़ अतिरिक्त का प्रावधान करने की बात कही गई है।

एमडीएम के बजट में कटौती

अब भारत में प्राथमिक शिक्षा के दूसरे पहलू यानि एमडीएम की बात करें। इस योजना के तहत पूरे देश के 12 लाख से अधिक प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक स्कूलों के तकरीबन 12 करोड़ बच्चों को भोजन मुहैया करवाया जाता है। दोपहर के खाने के कारण स्कूल की व्यवस्थाएं प्रभावित होती हैं। इस योजना के क्रियान्वयन में समस्याओं का अंबार है।

कभी स्कूलों में खाद्यान नहीं पहुंचता, तो कभी कुक को सेलरी नहीं मिलती, तो कभी भोजन में मरे हुए जानवर बरामद होते हैं, तो कभी बच्चों के खाने की गुणवत्ता प्रभावित होती है, तो कभी ख़राब सामग्री इस्तेमाल किए जाने की शिकायतें सामने आती हैं।

इतनी कमियों के बावजूद बहुत से स्कूलों में यह योजना अच्छे से संचालित हो रही है। इस बार के बजट में कटौती की मार का असर एमडीएम की योजना पर पड़ा है। पिछले साल 2014-2015 में इसके लिए 13,215 करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे। जबकि इस बार के बजट में मात्र 8,900 करोड़ रूपए निर्धारित किए गए हैं। यानि साफ़ तौर पर पाँच हज़ार करोड़ रुपए की कटौती एमडीएम के बजट में की गई है।

प्राथमिक शिक्षा के खर्चे में कमी 

प्राथमिक शिक्षा के बजट में करीब 6 हज़ार करोड़ रूपए की कटौती की गई है। वहीं एमडीएम के बजट में 5 हज़ार करोड़ रूपए कतरे गए हैं। यह कटौती प्राथमिक शिक्षा के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इससे लगता है कि सरकार को उन करोड़ों बच्चों की चिंता नहीं है, जो ग्रामीण इलाक़ों में पढ़ते हैं।

ऐसे वक़्त में जब शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद प्राथमिक शिक्षा को एक नई ऊंचाई देने की जरूरत महसूस हो रही थी। सरकार इससे हाथ खींच रही है। इस संदर्भ में आज का बजट पारंपरिक लकीर पर चलने वाला ही कहा जा सकता है, क्योंकि हमेशा उच्च शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा पर वरीयता दी जाती है और इस बार के बजट में भी वही हुआ है।

वित्त मंत्री ने उच्च शिक्षा बजट में 13 फीसदी की बढ़ोतरी की बात कही है। देश के उच्च शिक्षा संस्थानों को बढ़ावा देते हुए हर राज्य में एक प्रमुख केंद्रीय संस्थान बनाने का प्रस्ताव है जिसके लिए 26,855 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

पाँच किलोमीटर के दायरे में सीनियर सेकेंडर स्कूल

अपने शनिवार के बजट भाषण के दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 5 किलोमीटर के भीतर एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल सुनिश्चित करने की बात कही है। इसके लिए 80,000 माध्यमिक विद्यालयों को क्रमोन्नत करने की बात कही है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि 75,000 जूनियर/ मिडिल स्तर के स्कूलों का स्तर बढ़ाकर सीनियर माध्यमिक स्तर पर लाने की बात कही है। हालांकि यहां ज़मीनी अनुभव वाली एक बात कहनी जरूरी है कि जिन अच्छी जूनियर स्तर के स्कूलों को क्रमोन्नत किया जाता है, वहां की पढ़ाई-लिखाई पर काफ़ी विपरीत असर पड़ता है। इसका नुकसान प्राथमिक स्तर के छात्रों को तो होता ही है।

बड़ी कक्षाओं के छात्रों को जो आठवीं पास करके नौंवी में कही अच्छी जगह एडमीशन लेते, उनमें से कुछ को उसी स्कूल में बिना शिक्षकों के पढ़ना पड़ता है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। राजस्थान के एक ऐसे ही स्कूल को देखने के बाद लगा कि गाँव के लोगों ने विधायक से कहकर स्कूल को क्रमोन्नत करवा लिया था। वे ख़ुश थे कि अपने गाँव की स्कूल नौवीं-दसवीं तक हो जाएगी। लेकिन बच्चों की पढ़ाई और स्कूल के माहौल में जो गिरावट आई थी, उसको शायद ने देख पाने में अक्षम थे।
       आभार : शिक्षा,समाज और मीडिया

Post a Comment

0 Comments