अब परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे नहीं होंगे कुपोषित : मध्याह्न भोजन के साथ मिलेगा 200 मिली ग्राम उबला हुआ दूध साथ में,कढ़ी नहीं अब कोफ्ता और सांभर खाएंगे बच्चे
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गोरखपुर : अब परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे कुपोषित नहीं होंगे। सरकार ने उनके लिए प्रोटीनयुक्त गरम मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की है। अब बच्चों को हर बुधवार को मध्याह्न भोजन के साथ 200 मिली ग्राम उबला हुआ दूध अनिवार्य रूप से मिलेगा। अगर बुधवार को अवकाश होता है तो अगले दिन जब भी विद्यालय खुलेगा दूध उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे ऊर्जा और प्रोटीन के निर्धारित मानकों की पूर्ति हो सकेगी। 15 जुलाई से हर बच्चे के गिलास में दूध होगा।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कमलाकर पांडेय के अनुसार शासन स्तर से मध्याह्न भोजन का संशोधित मीनू जारी कर दिया गया है। पहली जुलाई से विद्यालय खुलने के बाद संशोधित मीनू के आधार पर ही बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। दूध पर आने वाला खर्च को परिवर्तन लागत से वहन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शासन ने पहले से ही मध्याह्न भोजन के मीनू से पूड़ी और मीठा चावल को हटा दिया है। इस बार से कढ़ी भी हट गई है और उसका स्थान कोफ्ता ने ले लिया है। बच्चों को अब कढ़ी की जगह कोफ्ता मिलेगा। संशोधित मीनू में किसी भी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। लापरवाही बरतने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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मध्याह्न भोजन का संशोधित मीनू
- सोमवार को रोटी-सब्जी, जिसमें सोयाबीन या दाल की बड़ी होगी।
- मंगलवार को चावल और सब्जी युक्त दाल अथवा सांभर।
- बुधवार को कोफ्ता और चावल के साथ 200 मिली ग्राम दूध।
- गुरुवार को रोटी और सब्जीयुक्त दाल।
- शुक्रवार को तहरी जिसमें सोयाबीन की बड़ी।
- शनिवार को चावल और सोयाबीनयुक्त सब्जी।
खबर साभार : दैनिकजागरण
कानपुर : परिषदीय स्कूलों के बच्चों के पोषण के लिए बंटने वाला मिड डे मील अब और पौष्टिक होगा। हर बुधवार को सभी स्कूलों में बच्चे को 200 मिलीलीटर दूध मिलेगा। बच्चों के हित के लिए लागू होने जा रही योजना ने शिक्षकों का अभी से सिरदर्द बढ़ा दिया है। शिक्षक और उनके संगठन अभी से उसके विरोध में उतर आए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आदेश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने स्कूलों में मिडडे मील के वितरण का मेन्यू बदल दिया है। इसके साथ ही दूध का वितरण करने का भी निर्देश दिया है। हालांकि अभी स्कूल खुलने में तीन दिन का समय शेष है।
वहीं परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का तर्क है कि जब हाईकोर्ट का आदेश है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में न लगाया जाए तो मिड-डे मील का जिम्मा उनके ऊपर क्यों हैं।
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मेन्यू भी बदला गया
मिड डे मील का मेन्यू बदल दिया गया है। सोमवार को रोटी, सब्जी जिसमें सोयाबीन अथवा दाल की बड़ी का प्रयोग हो बच्चों को दिया जाएगा। मंगलवार को चावल, सब्जी, दाल अथवा चावल, सांभर बच्चों को मिलेगा। बुधवार को मिलने वाली कढ़ी, चावल या खीर को बंद कर दिया गया है। इसके स्थान पर कोफ्ता, चावल एवं 200 मिली दूध मिलेगा। गुरुवार को अब तक रोटी, सब्जी, दाल या दलिया मिलता था। अब दलिया को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। शुक्रवार को पहले की तरह तहरी जिसमें सोयाबीन की बड़ी का प्रयोग होगा वह मिलेगी। शनिवार को चावल, सोयाबीन, सब्जी दी जाएगी। खाने के मेन्यू से खीर और दलिया को पूरी तरह बाहर कर दिया गया है।
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वर्जन:::
ग्रामीण क्षेत्रों में दूध का इंतजाम ग्राम प्रधानों को करना है और शहरी क्षेत्र में मिडडे मील सप्लाई करने वाली एनजीओ को। दूध का वितरण 15 जुलाई से होना है।
-सौरभ पाण्डेय, जिला समन्वयक, मिड डे मील।
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मिडडे मील और दूध स्कूलों में बंटना अच्छा है। इससे गरीब बच्चों को पोषण मिलेगा लेकिन इसे बांटने का जिम्मा शिक्षकों का नहीं होना चाहिए। खाना बनवाता प्रधान है जबकि गड़बड़ी होने पर कार्रवाई शिक्षकों पर की जाती है।
-योगेन्द्र कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ।
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