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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

बीटीसी माइनॉरिटी कॉलेजों में 100% मैनेजमेंट कोटा : हाईकोर्ट की दाखल पर सरकार ने ऐसे सभी कॉलेजों में सीधे दाखिले का दिया अधिकार

बीटीसी माइनॉरिटी कॉलेजों में 100% मैनेजमेंट कोटा : हाईकोर्ट की दाखल पर सरकार ने ऐसे सभी कॉलेजों में सीधे दाखिले का दिया अधिकार

1.अल्पसंख्यक कॉलेज तीन प्रमुख समाचार पत्रों में दाखिले के लिए विज्ञापन देंगे
2.एनसीटीई की ओर से संबंधित कॉलेज को आवंटित सीटों की संख्या के बराबर ही दाखिले लिए जाएंगे
3.प्रवेश का निश्चित आधार तय करेंगे और मेरिट के अनुसार ही दाखिला लिया जाएगा
4.दाखिलों में कोई अनियमितता न हो, इसके लिए अल्पसंख्यक कॉलेज समिति बनाएंगे
5.प्रवेश समिति में जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के एक प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाएगा
6.विज्ञापन जारी होने के बाद खाली सीटों के सापेक्ष ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे
7.मेरिट के आधार पर लिस्ट का प्रकाशन कॉलेज की वेबसाइट पर किया जाएगा
8.दाखिले पूरे होने के बाद चयनित विद्यार्थियों की लिस्ट सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को उपलब्ध कराई जाएगी
9.बीटीसी प्रशिक्षण पाने वालों की सेमेस्टर परीक्षाएं सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी ही तय परीक्षा केंद्रों पर करवाएंगे

 कॉलेजों ने सरकार से कोर्ट के इस आदेश के आधार पर दाखिले की अनुमति मांगी। सरकार ने भी उन कॉलेजों को 100 फीसदी दाखिले की अनुमति दे दी जो कोर्ट से आदेश लेकर आए थे। वहीं कुछ कॉलेजों ने कोर्ट के आदेश के बिना ही सरकार से दाखिले की अनुमति मांगी जो नहीं मिली। बाद में कॉलेज कोर्ट गए और सभी के लिए सामान्य आदेश करने की अपील की। हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि सभी अल्पसंख्यक कॉलेजों पर एक ही नियम लागू करते हुए उन्हें 100 फीसदी कोटे की अनुमति का निर्णय सुनाया था। उसी आधार पर प्रदेश के कई ऑर कॉलेज कोर्ट गए। कोर्ट ने सभी को 100 फीसदी सीटों पर दाखिले की अनुमति दे दी।

अब बीटीसी पाठ्यक्रम संचालित सभी निजी अल्पसंख्यक संस्थान अपनी शत प्रतिशत सीटें भर सकेंगे। हालांकि प्रवेश में पारदर्शिता बरतने के लिए कॉलेजों को एक प्रवेश समिति बनानी अनिवार्य होगी, जिसमें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्राचार्य की ओर से एक प्रतिनिधि भी शामिल किया जाएगा। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर यह निर्णय लिया है। इस संबंध में उन्होंने आदेश जारी कर दिया। अभी तक दो वर्षीय बीटीसी कोर्स चलाने वाले निजी अल्पसंख्यक संस्थानों में 50 प्रतिशत सीटों पर चयन डायट प्राचार्य द्वारा किया जाता है। जबकि शेष 50 प्रतिशत सीटों पर चयन संस्थान खुद करते हैं। लेकिन इन अल्पसंख्यक संस्थानों ने सभी 100 प्रतिशत सीटें भरने के संबंध में एक रिट याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की थी।

        खबर साभार : डीएनए 

बीटीसी कोर्स संचालित करने के लिए मान्यता व संबद्धताप्राप्त ऐसे निजी कॉलेज जिन्हें राज्य सरकार ने अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया है, वे अब सभी आवंटित सीटों पर छात्रों को खुद प्रवेश दे सकेंगे। अभी तक अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेजों की 50 फीसद सीटों पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य द्वारा उपलब्ध कराए गए अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाता था। शेष 50 फीसद सीटों पर अल्पसंख्यक कॉलेज अपने स्तर से छात्रों को दाखिला देते थे। नई व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2014-15 व आगामी सत्रों के लिए लागू रहेगी। 1हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में बेसिक शिक्षा विभाग ने व्यवस्था में बदलाव करते हुए इस बारे में शुक्रवार को शासनादेश जारी कर दिया है। शासनादेश में कहा गया है कि शत-प्रतिशत सीटों पर अपने स्तर से प्रवेश देने के लिए अल्पसंख्यक कॉलेजों को तीन प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराना होगा। अल्पसंख्यक समुदाय के अर्ह अभ्यर्थियों की अधिमानता को ध्यान में रखते हुए 22 जुलाई 2013 को जारी शासनादेश में निर्धारित प्रक्रिया के तहत मेरिट का आकलन किया जाएगा। अल्पसंख्यक कॉलेज को आवंटित सीटों के सापेक्ष ही अभ्यर्थियों को दाखिले दिए जाएंगे। प्रवेश में मेरिट की अनदेखी नहीं की जाएगी। विज्ञप्ति प्रकाशित होने के बाद रिक्तियों के सापेक्ष ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करके मेरिट तैयार की जाएगी। कॉलेज को मेरिट के अवरोही क्रम में प्रवेश सूची का प्रकाशन अपनी वेबसाइट पर करना होगा। प्रशिक्षण शुरू होने से पहले कॉलेज को यह प्रवेश सूची परीक्षण के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को संबंधित डायट प्राचार्य के जरिये उपलब्ध करानी होगी। 1शासन द्वारा अनुमोदित बीटीसी पाठ्यक्रम अवधि, परीक्षा पद्धति को अपनाते हुए ही कॉलेज को प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी। अल्पसंख्यक कॉलेज में बीटीसी ट्रेनिंग करने वाले प्रशिक्षुओं की परीक्षा सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी, इलाहाबाद द्वारा निर्धारित केंद्रों पर होगी। परीक्षा में गड़बड़ी की रिपोर्ट मिलने पर शासन कॉलेज की संबद्धता वापस ले लेगा। प्रवेश में अनियमितता रोकने और पारदर्शिता के लिहाज से अल्पसंख्यक कॉलेज को एक प्रवेश समिति गठित करनी होगी जिसमें डायट प्राचार्य द्वारा नामित प्रतिनिधि भी शामिल होगा।

खबर साभार : दैनिकजागरण/नवभारत टाइम्स

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