प्रशिक्षु शिक्षकों व शिक्षामित्रों को न सिर्फ वेतन या मानदेय का 'चेक' मिला वरन् सियासी लाभ का भी था ‘चेक’ : सी0एम0 नियुक्ति पत्र भी बांटना चाहते थे लेकिन कोर्ट की थी पेंचीदगी
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को यहां प्रशिक्षु शिक्षकों व शिक्षामित्रों को न सिर्फ वेतन या मानदेय बल्कि सियासी लाभ का भी चेक थमाया है। मुख्यमंत्री बांटना तो नियुक्ति पत्र चाहते थे लेकिन उस समय न्यायालय की तमाम पेचीदगियों के चलते यह नहीं हो पाया। इसीलिए उन्होंने चेक वितरण करके उसकी भरपाई और इस काम का क्रेडिट अपनी सरकार को दिलाने की कोशिश की है। इसके पीछे मुख्यमंत्री की कोशिश विधानसभा चुनाव 2017 के चुनावी गणित को दुरुस्त करने की है।
राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि ऐसा न होता तो इस तरह के आयोजन की कोई जरूरत ही नहीं थी। सरकार ने नौकरी दे दी थी। आगे का काम संबंधित विभाग और उसकी मशीनरी कर सकती थी। पर, बात जब चुनावी नफा-नुकसान से जुड़ी हो तो यह जरूरी हो जाता है। बात सही भी लगती है। शिक्षामित्रों में लगभग 58 हजार पहले ही शिक्षक बन चुके हैं और उन्हें वेतन भी मिल रहा है। इसलिए मंगलवार के आयोजन में मुख्यमंत्री के लिए सांकेतिक तौर पर चेक वितरण करने की बाध्यता नहीं थी। पर, मुख्यमंत्री ने अपने हाथों वेतन का चेक सौंपकर यह अपेक्षा की ही कि समय आने पर वे भी सरकार की मेहनत का ध्यान रखें।
यह कहते रहे हैं नेता जी-
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की तरफ से पहले कही जा चुकी बातों पर नजर दौड़ाएं तो सियासी लाभ लेने का अनुमान और पुख्ता हो जाता है। मुलायम कई बार सार्वजनिक रूप से प्रदेश सरकार को यह सलाह दे चुके हैं कि सरकार को सिर्फ अच्छे काम ही नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें बताना भी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार काम अच्छे करती है लेकिन प्रचार नहीं कर पाती। इसीलिए मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम के जरिये इस बार लाभार्थियों को यह बताने की कोशिश की कि सपा सरकार ने उनके लिए कितनी मेहनत की।
इन बातों का भी है मतलब-
सीएम ने यह बताने में कोई संकोच नहीं किया कि आप लोगों को शिक्षक बनाने के लिए अधिकारियों को कई बार समझाना पड़ा। राह में कई बाधाएं आ रहीं थीं, जिन्हें दूर किया गया। भर्ती के बाद जब यह समस्या सामने आई कि तमाम लोग अपने घरों से काफी दूर पोस्टिंग पा गए हैं तो उनकी तैनाती घर के पास करने का आदेश दिया। जाहिर है कि सीएम ने शिक्षामित्र से शिक्षक बने या बनने जा रहे इन लोगों को यह भी समझाने की कोशिश की है कि सपा सरकार ने सिर्फ उन्हें नौकरी ही नहीं दी है बल्कि उन्हें घर के करीब रहने का अवसर भी दिया है।
वोटों का गणित ठीक करने की कोशिश
जाहिर है मुख्यमंत्री की अपेक्षा इन सबसे (शिक्षक बनने वालों से) सरकार के इस काम को याद रखने की है। भले ही उन्होंने सभी को अपने हाथ से पहले वेतन का चेक न दिया हो लेकिन टोकन स्वरूप इस काम को करके उन्होंने अपेक्षा यही की है कि चुनाव के दौरान कम से कम इन शिक्षकों के 2.22 लाख परिवार तो समाजवादी पार्टी का ध्यान रखेंगे ही। वोटों की गणित की कसौटी पर देखें तो मुख्यमंत्री का यह काम सपा को निश्चित रूप से कुछ न कुछ लाभ जरूर पहुंचाएगा। सभी न सही अगर इसमें आधे लोगों के परिवारों का भी समर्थन सपा के साथ रहा तो चुनाव में पार्टी के पास वोटों का एक मजबूत आधार हो जाएगा।
खबर साभार : अमरउजाला
0 Comments