बी0एल0ओ0 और रैपिड सर्वे ड्यूटी के खिलाफ अध्यापकों ने खोला मोर्चा : गैर शैक्षणिक कार्यों के सम्बन्ध में 3 दिसम्बर 2012 को जारी किया था आदेश;प्राथमिक शिक्षक संघ की मथुरा इकाई ने हाईकोर्ट में दाखिल की अवमानना याचिका
इलाहाबाद (ब्यूरो)। परिषदीय विद्यालयोें के अध्यापकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लेने के हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद उनको बीएलओ और रैपिड सर्वे ड्यूटी लगाए जाने के खिलाफ अध्यापकों ने भी मोर्चा खोल दिया है। प्राथमिक शिक्षक संघ की मथुरा इकाई ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर दी है।
शिक्षकों का आरोप है कि विभागीय और प्रशासनिक अधिकारी जानबूझ कर हाईकोर्ट के 25 मार्च 2015 के आदेश की अवमानना कर रहे हैं। वह न सिर्फ शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा रहे हैं, बल्कि ड्यूटी नहीं करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर उनका उत्पीड़न कर रहे हैं। याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है। याचीगण के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक हाईकोर्ट ने 25 मार्च 2015 को सुनीता शर्मा बनाम राज्य सरकार की जनहित याचिका में आदेश दिया था कि प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्य में ड्यूटी न लगाई जाए। ऐसा आदेश देने का अधिकारियों को वैधानिक अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट के इस आदेश की अवहेलना पर इलाहाबाद और अलीगढ़ के पूर्व जिलाधिकारियों को चार जून 2015 को अवमानना का नोटिस जारी किया जा चुका है।
प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने तीन दिसंबर 2012 को जारी आदेश में भी शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाने का निर्देश दिया गया है। भारत निर्वाचन आयोग की भी गाइड लाइन है कि जहां तक संभव हो अध्यापकों की ड्यूटी निर्वाचन कार्य में न लगाई जाए। आयोग ने ड्यूटी लगाए जाने वाले कर्मचारियों की पूरी सूची दी है, मगर अध्यापकों के अलावा इनमें से किसी भी अन्य श्रेणी के कर्मचारी की ड्यूटी नहीं लगाई जाती है।
खबर साभार : अमरउजाला
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