बच्चों को न मुफ्त किताबें मिलेंगीं, न यूनीफार्म और शिक्षक : सरकार ने नई व्यवस्था लागू कर दी लेकिन खुद नहीं की कोई तैयारी-
१-किताबें-यूनिफॉर्म बिना अप्रैल से शुरू होगा सत्र
२-स्लो ट्रैक पर सरकार
३-सरकार ने नई व्यवस्था लागू कर दी लेकिन खुद नहीं की कोई तैयारी
४-शिक्षामित्रों का मामला अटका
लखनऊ : सीबीएसई और आईसीएसई की नकल करते हुए प्रदेश सरकार ने अप्रैल से नया सत्र शुरू करने की घोषणा कर दी और फरमान भी जारी हो गया। शिक्षक संगठनों के विरोध के बावजूद सरकार ने नई व्यवस्था लागू कर दी। लेकिन खुद अपनी तैयारी कुछ नहीं की। प्राइमरी हो या माध्यमिक शिक्षा विभाग, नए सत्र की कोई तैयारी नहीं है। एक अप्रैल को जब नया सत्र शुरू होगा, तब बच्चों के पास न तो किताबें होंगीं, न यूनीफार्म और न ही शिक्षक। राजकीय हाईस्कूलों से लेकर मॉडल स्कूल तक में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई है। ऐसे में यूपी बोर्ड और बेसिक शिक्षा परिषद का अप्रैल में नया सत्र महज रस्म अदायगी भर ही है।
सरकारी स्कूलों में बच्चों को दी जानी वाली मुफ्त यूनीफार्म की तो कोई पहल ही नहीं की गई। हर साल की तरह अक्टूबर-नवंबर में शानादेश जारी हुआ तो सत्र की शुरुआत की बजाय आखिर में ही बच्चों को यूनीफार्म मिलेगी।
शिक्षामित्रों का मामला अटका-
प्राइमरी स्कूलों में दूसरे चरण के 92 हजार शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाए जाने के लिए उनकी तैनाती का कार्यक्रम ही जारी नहीं हुआ। इस तरह ये शिक्षक भी अप्रैल तक नहीं मिल पाएंगे। समय पर तैनाती प्रक्रिया शुरू होती तो अब तक सभी शिक्षकों को पढ़ाने के लिए स्कूल आवंटित हो चुके होते।
नहीं मिल पाएंगीं किताबें-
प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त मिलने वाली किताबों का टेंडर निरस्त हो गया। अब दोबारा फिर प्रक्रिया शुरू होगी। टेंडर होने के बाद भी किताबें छपने और बच्चों तक पहुंचने में कम से कम चार महीने लगेंगे।
बिना शिक्षक के खुलेंगे राजकीय हाईस्कूल-
2009 के बाद खुले राजकीय हाईस्कूल भी बिना शिक्षकों के खुलेंगे। इनमें करीब नौ हजार शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की जरूरत है। सरकार ने कई महीने पहले लगभग छह हजार शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन भी जारी किया था लेकिन वह प्रक्रिया भी ठप पड़ी है।
नहीं खुल पाएंगे मॉडल स्कूल -
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर प्रदेश में मॉडल स्कूल खुलने हैं। ऐसे 192 स्कूलों में बिल्डिंग लगभग तैयार हो चुकी है। इनकी पढ़ाई सीबीएसई बोर्ड से कराने का फैसला तो हो गया लेकिन अभी शिक्षकों की तैनाती यहां भी नहीं हो पाई है।
नहीं आ पाएगा रिजल्ट-
इस साल यूपी बोर्ड की परीक्षाएं तो सरकार ने करीब 15 दिन पहले शुरू करवा लीं लेकिन रिजल्ट अप्रैल तक नहीं आ पाएगा। सरकार ने यह तो कह दिया है कि अप्रैल में सभी बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा। लेकिन बाद में जो फेल होंगे, उन्हें वापस निचली क्लास में आना होगा। ऐसे में रिजल्ट से पहले नया सत्र औपचारिकता ही होगा।
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
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