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आयकर बचाने के लिए समझें बजट का मजमून : कई प्रावधान किए गए हैं जिनके जरिए पिछले वित्त वर्ष की तुलना में आप ज्यादा टैक्स बचा....

आयकर बचाने के लिए समझें बजट का मजमून : कई प्रावधान किए गए हैं जिनके जरिए पिछले वित्त वर्ष की तुलना में आप ज्यादा टैक्स बचा....

"वित्त वर्ष 2015-16 के आम बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए छूट की सीमा में कोई इजाफा नहीं किया गया है। हालांकि ऐसे कई प्रावधान किए गए हैं जिनके जरिए पिछले वित्त वर्ष की तुलना में आप ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं। यह फायदा उठाने के लिए आपको बजट में आयकर के संबंध में किए गए प्रमुख प्रावधानों की बारीकियों को समझना होगा|"

इस बार आम बजट में मध्य आय वर्ग के लोगों को थोड़ी निराशा जरूर हुई है क्योंकि न तो टैक्स में विशेष रूप से कोई छूट की घोषणा हुई और न ही व्यक्तिगत निवेश को विशेष प्रोत्साहन मिला। हालांकि देश के विकास के लिए जो विशेष योजनाएं बनाई गई हैं, लंबे वक्त में आम आदमी को उसका फायदा जरूर मिलेगा। बजट में आयकर कानून में ‘आय से कटौती’, ‘कर में छूट’ और ‘कर मुक्त आय’ जैसे विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। इस बार बजट में जो इस तरह के जो अहम प्रस्ताव रखे गए उन्हें समझना आवश्यक है। कर मुक्त आय में इजाफा आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 के तहत आपकी कुछ आमदनी कर मुक्त होती है। यानी ऐसी आय जिस पर आपको कोई कोई टैक्स नहीं देना होता। वेतनभोगी कर्मचारियों को जो वेतन मिलता है उसमें कुछ रकम विशेष भत्ते या अलाउंस के रूप में भी मिलती है। इनमें से कुछ अलाउंस एक तय सीमा तक आपकी आय में नहीं जुड़ते। ऐसा ही एक अलाउंस है ट्रांसपोर्ट अलाउंस। अब तक वेतन में मिलने वाला ट्रासपोर्ट अलाउंस 800 रपए प्रतिमाह तक कर मुक्त था। लेकिन बजट में इसे बढ़ाकर 1600 रपए प्रतिमाह यानी 19200 सालाना करने का प्रस्ताव रखा गया है। ध्यान देने की बात यह है कि यह आपके लिए पूरी तरह से तभी फायदेमंद होगा जब आपका ट्रांसपोर्ट अलाउंस प्रतिमाह 1600 रपए या उससे अधिक हो। आय से कटौती का लाभ आयकर की कुछ विशेष धाराओं के अंतर्गत आप निवेश करके टैक्स बचाने के लिए जितनी रकम निवेश करते हैं उसे आप अपनी कुल आय में से घटा सकते हैं।

आयकर की धारा 80सी के तहत कटौती की यह सीमा 1.50 लाख रपए है। आयकर की धारा 80 सीसीडी के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस में निवेश करके आय से 50 हजार रपए की अतिरिक्त कटौती का लाभ लिया जा सकता है। करदाता 50000 रपए की कटौती को 50 हजार की छूट समझने की गलती न करें। यदि आपकी सालाना कर योग्य आय पांच लाख से कम है तो आपको अपनी आय पर 10 फीसद कर चुकाना होता है। यानी 50000 निवेश करके आपके 5000 रपए बचेंगे। दूसरी ओर जिनकी आय 10 लाख रपए से ज्यादा है उन्हें 10 लाख से अधिक की आय पर 30 फीसद टैक्स चुकाना होता है। ऐसे में यदि आपने 50 हजार रपए एनपीएस में अतिरिक्त निवेश कर दिए तो आपको टैक्स में 15000 रपए की छूट मिलेगी। विकलांगों को विशेष लाभ यदि करदाता स्वयं या उसका कोई संबंधी जो कि उस पर निर्भर है, यदि वह शारीरिक रूप से सामान्य जिंदगी जीने योग्य नहीं है तो करदाता एक निश्चित राशि अपनी कर योग्य आय में से घटा सकता है। इस कटौती की सीमा अभी तक 50 हजार और गंभीर रूप से विकलांगता के लिए एक लाख रपए है। इस बजट में इस सीमा को 25 हजार रपए बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। निर्दिष्ट बीमारी के इलाज पर विशेष मदद करदाता या उसके परिवार का सदस्य यदि किसी निर्दिष्ट बीमारी का इलाज करा रहा है तो करदाता 40 हजार रपए तक अपनी आय में से घटा सकता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए कटौती की यह तय सीमा 60 हजार रपए है। अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस बजट में यह तय सीमा 80 हजार करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह जानना आवश्यक है कि इस कटौती का लाभ तभी मिलता है जब आपने स्वास्थ्य बीमा पालिसी के तहत मुआवजा न लिया हो। इसके अलावा 80 वर्ष से अधिक की आयु वाले ऐसे अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए जिन्होंने कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं लिया हो उन्हें इस बजट में अपने इलाज पर खर्च की गई 30 हजार रपए तक की राशि को अपनी आय में से घटाने का प्रस्ताव रखा गया है। टीडीएस का दायरा बढ़ा कर योग्य आय पर करदाता को कर चुकाना पड़ता है। कुछ आय के संबध में ऐसा होता है कि भुगतान करने वाली पार्टी नियमों के अनुसार टैक्स काटकर ही बकाया रकम का भुगतान करती है। करदाता को यदि बैंक से एक वित्त वर्ष के दौरान 10 हजार रपए से अधिक का ब्याज मिलता है तो उस पर बैंक 10 फीसद का टैक्स काट लेता है। अभी तक कुल ब्याज की गणना बैंक की एक शाखा से कितना ब्याज मिलता है उस पर निर्भर करता था लेकिन इस बजट में एक बैंक की सभी शाखाओं में मिलाकर ब्याज की राशि 10 हजार रपए से अधिक हो जाती है तो उस पर टैक्स काट लिया जाएगा। इसी प्रकार यदि कोई कर्मचारी पांच साल से पहले अपना प्रोविडेंट फंड का पूरा पैसा निकाल लेता है तो उस राशि पर कर्मचारी को टैक्स चुकाना पड़ता है। अभी तक उस राशि पर टीडीएस का प्रावधान नहीं था।

यानी करदाता को उस रकम को अपनी आय में जोड़कर टैक्स अदा करना पड़ता था अब इस पर पेमेंट मिलने से पहले 10 फीसद टैक्स काट लिया जाएगा। सच पूछिए तो इससे करदाता को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योकि टैक्स तो आपको पहले भी चुकाना ही था। फर्क सिर्फ इतना है कि अब कुछ टैक्स पहले ही काट लिया जाएगा। इससे आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं होती। क्योंकि टीडीएस केवल 10 फीसद ही कटेगा। यदि आपकी आमदनी अधिक है और आप 20 या 30 फीसद टैक्स के दायरे में आते हैं तो अपना आयकर रिटर्न भरने से पहले आपको बकाया टैक्स चुकाना होगा। यह टैक्स चोरी पर लगाम लगाने की अच्छी प्रक्रिया है।

          खबर साभार : राष्ट्रीयसहारा



दयानन्द त्रिपाठी

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