ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे की सजा बरकरार : जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाला-
नई दिल्ली (ब्यूरो)। हरियाणा जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे अजय समेत पांच दोषियों को दिल्ली उच्च न्यायालय से भी राहत नहीं मिली। अदालत ने इन सभी को मिली 10-10 साल की सजा को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री चौटाला की जिम्मेदारी थी कि वह इस घोटाले को रोकते। इसके अलावा अन्य चार भी मामले में मुख्य रूप से दोषी हैं। अदालत ने अन्य 50 दोषियों की सजा को घटाकर दो-दो वर्ष कर दिया। विशेष सीबीआई अदालत ने 22 जनवरी 2013 में इन सभी को सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने अपने 400 पेज के फैसले में दोषियों की अपील खारिज करते हुए कहा कि ज्यादातर ऐसे मामलों में प्रत्यक्ष साक्ष्य मिलना काफी मुश्किल होता है, लेकिन इस मामले में सभी दोषियों विशेषकर ओमप्रकाश चौटाला की भूमिका स्पष्ट है। अभियोजन पक्ष सभी दोषियों की अलग-अलग भूमिका स्पष्ट करने में सफल रहा है। अदालत ने कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, उनके पुत्र, पूर्व आईएएस अधिकारी संजीव कुमार, विद्याधर और शेर सिंह बड़शामी इस मामले में मुख्य षड्यंत्रकारी हैं और उनकी जिम्मेदारी थी कि वे अपना काम कानूनी रूप से करें, लेकिन उन्होंने कानून को ताक पर रखकर काम किया। ट्रायल कोर्ट ने इन पांचों को दस-दस साल कैद की सजा पूरे तथ्यों का अध्ययन करने के बाद दी है। अत: इनकी सजा बरकरार रखी जाती है। अदालत ने कहा कि दोषियों ने शिक्षक भर्ती की पूरी प्रक्रिया को अपमानित किया है और इसे भ्रष्टाचार से खराब कर दिया।
दोषियों ने लोकसेवकों के नैतिक मानकों को चुनौती दी है और अन्य लोगों पर बोली लगाने के लिए भी दबाव बनाया।
कब हुआ था घोटाले का खुलासा-
घोटाले का खुलासा सितंबर 2003 में पूर्व आईएएस व प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार की ओर से सर्वोच्च अदालत में दायर याचिका पर आदेश के बाद हुआ था। अदालत ने सीबीआई को जांच करने का आदेश दिया था। सीबीआई ने वर्ष 2008 में 17 महिलाओं समेत 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। जांच एजेंसी के मुताबिक, आरोपियों ने वर्ष 1999 व 2000 के दौरान 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती में घोटाले की साजिश रची। योग्य उम्मीदवारों की सूची में हेरफेर कर उनमें घूस देने वाले उम्मीदवारों के नाम शामिल किए गए।
खबर साभार : अमरउजाला
शिक्षक भर्ती घोटाला;हाईकोर्ट ने रखी सजा बरकरार : वर्ष 1999-2000 में जेबीटी शिक्षक भर्ती का मामला-
नई दिल्ली। वर्ष 1999-2000 के हरियाणा में हुए जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में रोहिणी कोर्ट द्वारा दोषियों को सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए उन्हें कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पूर्व सीएम ओपी चौटाला, उनके विधायक पुत्र अजय चौटाला, चौटाला के पूर्व राजनीतिक सलाहकार शेर सिह बड़शामी और आईएएस अधिकारी विद्या धर और संजीव कुमार की सजा में कोई कमी नहीं की जाएगी। सभी को तिहाड़ में सरेंडर करने के आदेश भी दिए गए हैं। हालांकि न्यायालय ने मामले में अन्य दोषियों की सजा को घटाकर दो साल कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिए कि जो दोषी मामले में दो साल जेल की सजा काट चुके हैं, उन्हें रिहा कर दिया जाए।
चौटाला के वकील अमित साहनी ने कहा, 'कोर्ट ने ओपी चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला की सजा को बरकरार रखा है। वे हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।' उधर अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला की सजा में कोई कमी नहीं की है।
मामले में 22 जनवरी, 2013 को रोहिणी कोर्ट स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला और पूर्व आइएएस अधिकारी संजीव कुमार सहित दस लोगों को दस-दस साल कैद की सजा सुनाई थी।
साथ ही अन्य अभियुक्त पुष्करमल वर्मा को पांच साल कैद व 44 अन्य को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी। सभी ने सजा को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी हुई है। मामले में सभी पर चयनित उम्मीदवारों की सूची में हेरफेर करने का आरोप है।
खबर साभार : दैनिकजागरण
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