यूपी में आठवीं के कोर्स में शामिल होगा जापानी इंसेफेलाइटिस : बच्चों को देंगे दिमागी बुखार के सभी पहलुओं की जानकारी-
१-जनवरी में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान को दिए गए थे निर्देश
२-बच्चों को देंगे दिमागी बुखार के सभी पहलुओं की जानकारी
३-राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान ने प्रदेश सरकार को भेजा प्रस्ताव
४-मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने चैप्टर को दिया अंतिम रूप
लखनऊ : उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद की आठवीं के कोर्स में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को शामिल किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने पिछले महीने 21 जनवरी को राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान को जेई और एईएस को शामिल करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद संस्थान के अफसरों ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसरों से संपर्क किया।
डॉक्टरों की रिपोर्ट प्रदेश सरकार के साथ ही निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेज दी गई है। उम्मीद है कि अप्रैल से शुरू हो रहे नए सत्र में ये टॉपिक पढ़ाए जाएंगे। संस्थान के सूत्रों की मानें तो नए सत्र में बच्चों को नि:शुल्क बंटने वाली किताब का टेंडर अभी नहीं हुआ है। इसलिए पूरी उम्मीद है कि दोनों टॉपिक को आठवीं में पढ़ाई जाने वाली विज्ञान की किताब में शामिल कर लिया जाएगा।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, श्रवस्ती समेत कई जिलों में सैकड़ों बच्चों की जान लेने वाली इस बीमारी से निपटने को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इसे कोर्स में शामिल करने के निर्देश दिए थे। ताकि बच्चों को इस बीमारी के विषय में जागरूक किया जा सके। क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस: यह बीमारी क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होती है। इसे दिमागी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। छह वर्ष तक के बच्चे इसके ज्यादा शिकार होते हैं। इनके रीढ़ की हड्डी से पानी निकाल कर जांच की जाती है। इलाज के बाद भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मरीज मानसिक या शारीरिक तौर पर विकलांग हो जाते हैं। पूर्वाचल के जिलों में यह बीमारी पिछले कई वर्षो से महामारी के दौर पर उभरी है |
खबर साभार : हिन्दुस्तान
दयानन्द त्रिपाठी
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