साक्षरता अभियान पर भारी अफसरों की लापरवाही : पंचायतों के प्रेरकों को मानदेय न मिलने से अभियान पर पड़ रहा असर-
लखनऊ। साक्षर भारत अभियान की यूपी में हवा निकल रही है। निरक्षरों को साक्षर करने का भार जिन प्रेरकों के कंधों पर है उन्हें मानदेय नहीं दिया जा रहा है। इससे प्रेरक काम में रुचि नहीं ले रहे हैं। सचिव स्कूल शिक्षा व साक्षरता भारत सरकार वृंदा स्वरूप ने इस संबंध में राज्य सरकार को कड़ा पत्र लिखा है।
साक्षर भारत अभियान में प्रदेश के 70 जिलों का चयन किया गया है। अभियान सफल बनाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में लोक शिक्षा समिति बनाते हुए दो-दो प्रेरक रखे जाने हैं। प्रदेश में 99,842 की तैनाती होनी है। इसमें 84,945 रखे जा चुके हैं। केंद्र की शर्तों के मुताबिक प्रेरकों को हर माह 2000 रुपये मानदेय दिया जाना है। साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा निदेशालय ने प्रेरकों को मानदेय देने के लिए पहले ग्राम प्रधान, संबंधित पंचायत के परिषदीय स्कूल के प्रधानाध्यापक के संयुक्त हस्ताक्षर से खाता संचालन शुरू कराया था, लेकिन ग्राम प्रधानों की मनमानी इसमें आड़े आ रही थी। इसके बाद नई व्यवस्था करते हुए ब्लॉक लोक शिक्षा समिति का गठन कर खाता संचालन की जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारी को दी गई।
छह माह पहले इस संबंध में आदेश जारी होने के बाद भी यह प्रयोग अभी तक पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय सचिव ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को लिखे पत्र में कहा है कि प्रेरकों को समय से मानदेय न मिलने से साक्षरता अभियान प्रभावित हो रहा है। पत्र में इलाहाबाद के फूलपुर तहसील के निरीक्षण का भी जिक्र किया है।
खबर साभार : अमरउजाला
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