logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

पुराने बीएसए ऑफिस में आग, कई फाइलें जलीं : 2010 में डायट बांसी में भी लगी थी आग जिसमें मामला फर्जीवाड़े का : जांच सीबीसीआईडी कर रही-

पुराने बीएसए ऑफिस में आग, कई फाइलें जलीं : 2010 में डायट बांसी में भी लगी थी आग जिसमें मामला फर्जीवाड़े का : जांच सीबीसीआईडी कर रही-

१-शिक्षामित्रों के वेरिफिकेशन और डिस्ट्रिक्ट प्राइमरी एजुकेशन प्रोग्राम से संबंधित कागजात राख

२-2010 में डायट बांसी में भी लगी थी आग जिसमें मामला फर्जीवाड़े का था

३-बीएसए और शिक्षामित्र संगठन ने एक दूसरे पर आग लगाने का आरोप लगाया

४-गड़बड़ी दबाने की साजिश तो नहीं

सिद्धार्थनगर। पुराने बीएसए कार्यालय के एक कमरे में शुक्रवार रात संदिग्ध हालात में आग लगने से शिक्षामित्रों और डिस्ट्रिक्ट प्राइमरी एजुकेशन प्रोग्राम (डीपीईपी) से संबंधित फाइलें राख हो गईं। आग लगने को लेकर कई तरह के सवाल सामने आ रहे हैं। शिक्षामित्र और बीएसए एक दूसरे पर आग लगवाने का आरोप लगा रहे हैं।

पुराने बीएसए कार्यालय से शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे अचानक आग की लपटें उठने लगीं। आसपास के लोगों ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस और फायर सर्विस को दी। जब तक पुलिस और फायर टीम पहुंचती, तब तक कमरे में रखे सारे कागजात जल चुके थे। एक घंटे में ही सभी कुछ राख हो गया। सूचना मिलने पर बीएसए भी पहुुंच गए। उन्होंने कहा कि यह आग शिक्षामित्रों ने लगवाई है। क्योंकि मुझे शिक्षामित्रों से संबंधित पुरानी पत्रावलियों की जांच करनी थी। सभी पत्रावली पुराने बीएसए ऑफिस के कमरे में रखी गई थीं। दूसरी ओर शिक्षामित्रों ने इसमें बीएसए की साजिश बताई है।

आग लगने की इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस कमरे में आग लगी, उसमें केवल फाइलें थीं। कमरे में बिजली की भी व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में शार्ट सर्किट से भी आग नहीं लग सकती। दूसरी तरफ मेन गेट का ताला बंद था और अन्य चारों तरफ की दीवारें ऐसी हैं कि कोई भी आसानी से आ-जा सकता है। इसके अलावा यह शहर का व्यस्ततम मार्ग है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि आग सुनियोजित तरीके से लगाई गई है।

प्रधानाध्यापिका तेतरी प्रथम अनुराधा पांडेय ने बताया कि जिस कमरे में आग लगी, वह प्राथमिक विद्यालय तेतरी प्रथम के कैंपस में है। यह पुराना बीएसए ऑफिस है। इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।

• गड़बड़ी दबाने की साजिश तो नहीं-

पुराने बीएसए कार्यालय पर लगी आग कई सवालों को जन्म दे रही है। कुछ लखनऊ और बाराबंकी में भी पिछले दिनों शिक्षा विभाग में लगी आग की घटना से इसे जोड़ रहे हैं। उसमें भी डीपीईपी की फाइलें जली थीं। इस कार्यक्रम में घोटाले की जांच प्रदेश स्तर पर चल रही है। कुछ लोग इसे पूर्व में चयनित हुए शिक्षामित्रों के फर्जीवाड़े से जोड़ रहे हैैं।

इसके अलावा 2010 में भी डायट बांसी में आग लगने की घटना हो चुकी है। उस समय भी कई पत्रावलियां जली थीं। उसमें भी कई शिक्षकों के फर्जीवाड़े से जुड़ी फाइलें थीं। उसकी जांच सीबीसीआईडी कर रही है। अब तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है।

• बीएसए और शिक्षामित्र संगठन ने एक दूसरे पर आग लगाने का आरोप लगाया-

सहायक अध्यापक पद पर चयनित प्रथम बैच के शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों के वेरिफिकेशन का काम हो रहा है। शिक्षामित्र पदपर चयन से संबंधित सभी फाइलें इसी ऑफिस में रखी गई थीं। आग लगने का मामला कहीं ने कहीं संदिग्ध है। इसकी जांच कराई जाएगी।

-डॉ. कौशल किशोर, बीएसए

आठ वर्ष पहले में वहां ऑफिस था। इतने दिन से वहां फाइलें क्यों पड़ी रहीं। जबकि कई बार हम लोगों का वेरिफिकेशन हो चुका है। हम लोग धरना, प्रदर्शन कर रहे थे। इसलिए हम पर दबाव बनाने के लिए ऐसी साजिश बीएसए ने रची है। हमारे ऊपर लगाए गए आरोप निराधार हैं।

-हेमंत शुक्ला, जिलाध्यक्ष, आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन

बीएसए का आरोप बेबुनियाद है। वह उनकाऑफिस है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी है कि वे फाइलों को सुरक्षित रखें।
-इंद्रजीत यादव, जिलाध्यक्ष शिक्षामित्र संघ

        खबर साभार : अमरउजाला

Post a Comment

0 Comments