कैग करेगी मिड-डे-मील के खर्च का ऑडिट : सुप्रीम कोर्ट ने गुणवत्ता युक्त भोजन कराने के लिए दिया था आदेश-
Fri, 12 Sep 2014 09:12 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता: भारत के महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक (कैग) की टीम अब मिडडे मील योजना के खर्च की ऑडिट करेगी। साथ ही यह भी देखेगी कि यह योजना कितनी प्रभावी रही। योजना के धन की कहीं बंदरबांट तो नहीं यह भी जानने का प्रयास टीम के लेखाकार करेंगे।
जिले के 1603 प्राथमिक विद्यालयों, 628 उच्च प्राथमिक और 638 इंटर कालेजों में मिडडे मील योजना का संचालन किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में स्वयंसेवी संस्थाएं बच्चों को भोजन बांट रही हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में ही भोजन बनाने का प्रबंध है। यह योजना इसलिए लागू की गई थी ताकि बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सके और स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़े।
उच्चतम न्यायालय भी गुणवत्ता युक्त भोजन देने के आदेश दे चुका है लेकिन ज्यादातर स्कूलों में बच्चों को घटिया भोजन ही मिलता है। सर्वाधिक खराब हालत ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की है। वहां पर दाल कम पानी ज्यादा, सब्जी में नमक ज्यादा, तेल मसाला कम की शिकायत आए दिन आती है। तमाम स्कूलों में मेन्यू का पालन भी नहीं होता। जांच में मामले सामने आते हैं और कार्रवाई भी होती है। अब कैग की टीम योजना में अब तक खर्च धन का ऑडिट करने में यह जानने की कोशिश करेगी कि कितना धन वास्तव में खर्च हुआ।
खबर साभार : दैनिक जागरण
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