अब बीटीसी के हर सेमेस्टर में हिन्दी : पहले सिर्फ दो सेमेस्टर में
इलाहाबाद : राष्ट्र भाषा (हिंदी) के पक्ष में एक अच्छी खबर है। भावी प्राइमरी शिक्षकों को अब हर सेमेस्टर में हिंदी पढ़ना ही पड़ेगा। बीटीसी के बदले पाठ्यक्रम में इसे अनिवार्य किया गया है, पहले हिंदी सिर्फ दो ही सेमेस्टर में पढ़ाई जाती थी। बीटीसी पाठ्यक्रम में उर्दू एवं संस्कृत में से भी एक भाषा की पढ़ाई करना जरूरी है।
मातृ भाषा में पढ़ना व पढ़ाना व्यक्ति के विकास एवं उसके चतुर्दिक संवर्धन में काफी सहायक होता है। शायद इसी को ध्यान में रखकर बीटीसी (बैचलर ऑफ टीचिंग कोर्स) के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। ताकि भावी शिक्षकों का मातृभाषा के प्रति लगाव बढ़े और प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी चीजों को बेहतर तरीके से समझ सकें ।
राज्य शिक्षा संस्थान ने बीटीसी के चारों सेमेस्टर में हिंदी को अनिवार्य कर दिया है, जो पहले मात्र दो सेमेस्टर में ही था। इसी के अनुरूप बीटीसी-2013 बैच के प्रशिक्षु पढ़ाई भी कर रहे हैं। संस्थान के शिक्षकों की मानें तो दो सेमेस्टर में अंग्रेजी की पढ़ाई करना जरूरी है, जबकि संस्कृत एवं उर्दू में एक विषय को दो सेमेस्टर में पढ़ना है। सामाजिक अध्ययन विषय में अर्थशास्त्र का कुछ हिस्सा जोड़ा गया है जो पहले नहीं था। यही नहीं बीटीसी कालेजों में पाठ्य सहगामी क्रियाओं का भी समय-समय पर आयोजन किया जाएगा। इसमें खेल, साहित्यिक, सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा और प्रशिक्षुओं को शैक्षिक भ्रमण भी कराया जाएगा, जो पहले अनिवार्य नहीं था। उधर, कला, संगीत एवं शारीरिक शिक्षा विषय पहले अनिवार्य थे अब वैकल्पिक हो गए हैं।
हिंदी हर बच्चे व बड़े को पढ़नी ही चाहिए, क्योंकि यह हमारी मातृभाषा है, जब तक मातृभाषा मजबूत नहीं होगी तब तक अपेक्षित विकास नहीं होगा। बीटीसी के पाठ्यक्रम में इसकी अनिवार्यता अच्छी बात है।
-आरएन विश्वकर्मा, कार्यवाहक प्राचार्य राज्यशिक्षा संस्थान इलाहाबाद
खबर साभार : दैनिक जागरण
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