72825 राज्य समस्या निवारण समिति के संग खड़ा हुआ टेट मोर्चा : हाईकोर्ट में भी कैविएट दाखिल
इलाहाबाद : प्रदेश के प्राथमिक एवं जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में जिस तरह शिक्षा विभाग काउंसिलिंग में छानबीन कर रहा है, ठीक वैसे ही शिक्षक बनने के दावेदार भी अर्हता रखने वालों को ही मौका दिए जाने को लेकर खासे गंभीर हो गए हैं। राज्य स्तरीय समस्या निवारण समिति ने एससीईआरटी को जो सुझाव दिए हैं उन्हें कोई खारिज न करा पाए इसलिए टीईटी संघर्ष मोर्चा ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल किया है।
प्राथमिक स्कूलों में इन दिनों 72825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग चल रही है। इसके पहले चरण के दौरान ही तमाम तरह के मामले सामने आये। उन मामलों को संकलित करके राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने राज्य स्तरीय समस्या निवारण समिति को भेजा था, ताकि सुझावों पर अमल किया जा सकें। वैसे तो तमाम बिंदुओं पर समिति ने रिपोर्ट दी है, लेकिन सामान्य वर्ग के लिए स्नातक परीक्षा में 45 प्रतिशत एवं आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत के अर्ह होने का मामला खासा चर्चा में है। दरअसल टीईटी पास ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या हजारों में है जो स्नातक में तो 45 फीसदी अंक हासिल नहीं कर पाए, लेकिन परास्नातक योग्यता के आधार पर बीएड किए हुए हैं, उन्हें समिति ने अर्ह नहीं माना है। समिति के इस सुझाव पर अमल के लिए एससीईआरटी ने सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को भेज दिया है, ताकि दूसरे चरण में यह समस्या न आने पाए।
इसी बीच टीईटी संघर्ष मोर्चा के संजीव मिश्र ने मंगलवार को हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की है कि यदि समिति के सुझाव को कोई टीईटी अभ्यर्थी चुनौती दे तो उन्हें भी सुना जाए। संजीव का कहना है कि जो सुझाव समिति ने दिया है वही अर्हता टीईटी 2011 के भर्ती के समय भी थी। इसलिए इसमें कोई फेरबदल नहीं हो अन्यथा हजारों अभ्यर्थियों का नुकसान होगा |
खबर साभार : दैनिक जागरण
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