MAN KI BAAT : विवादास्पद होता जा रहा शिक्षक सम्मान/पुरस्कार चयन आखिर क्यों ?? आशा है कि शिक्षक पुरस्कार चयन का विवाद इस दिन के अच्छाई को प्रभावित नहीं करेगा जो कि ……………………
कहतें हैं छात्रों को प्रगति के पथ पर ले जाने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है । शिक्षक अपने अनुभव के आधार पर छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें । हमें लगता है कि बच्चों के सफलता के लिए चार मंत्र महत्वपूर्ण हैं - सदैव मुस्कराते रहें क्योंकि मुस्कराने से सहजता से काम करने की प्रेरणा मिलती है, अच्छा काम करने वालों की प्रशंसा करें तथा उनके गुणों को ग्रहण करने का प्रयास करें, किसी की अवमानना न करें तथा हर काम को बेहतर तरीके से करने को सदैव तत्पर रहें ।
एक व्यक्ति के जीवन को आकार देने में उसके माता-पिता से ज्यादा एक अच्छे शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हमारे देश की संस्कृति में शिक्षक को भगवान से ऊपर स्थान दिया गया है। किसी एक के जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने में एक अच्छे गुरु का मार्गदर्शन और सहायता बहुत मायने रखता है। अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों में अपने गुरु के द्वारा निभाये गये निर्माणकर्ता की भूमिका को हर सफल इंसान हमेशा याद रखता है, शिक्षक के कार्यों को धन्यवाद शब्द में समाहित नहीं किया जा सकता है।
"विद्यार्थीयों के जीवन को बेहतर बनाने के दौरान गुरु सबसे ईमानदारी से कार्य करता है, पढ़ाई-लिखाई के अलावा दूसरे पाठ्येतर क्रियाओं में भी शिक्षक विद्यार्थीयों का ध्यान रखते है। अपने जीवन के हर पहलू और मार्गदर्शन के लिये विद्यार्थी अपने शिक्षक पर निर्भर रहता है वहीं यह भी सर्वविदित है कि एक अच्छा गुरु कभी अपने चेले को निराश नहीं करता है।"
लाखों-करोड़ों विद्यार्थीयों के भविष्य को गढ़ने तथा सहायता करने में अनगिनत शिक्षकों के द्वारा दिये गये योगदान का धन्यवाद और सम्मान करने के लिये हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है और इसी के परिणामस्वरुप शिक्षक की किस्मत चर्चा का आकार लेते जा रही है।
शिक्षक दिवस सम्मान/पुरस्कार की उत्पत्ति पर छोटी सी झलक :-
डॉक्टर सर्वपल्ली राधकृष्णन के सम्मान में 1962 से शिक्षक दिवस के रुप में मनाने के लिये ये दिन-तारिख चिन्हित किया गया है जो 5 सितंबर 1888 को पैदा हुए थे। डॉक्टर सर्वपल्ली राधकृष्णन एक महान दार्शनिक और आधुनिक भारत के शिक्षक थे साथ ही उन्हें 1954 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। वो 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। इसलिये ये केवल स्वाभाविक था कि पूरे देश भर में लाखों अनजान शिक्षकों को सम्मान देने के लिये उनका जन्म दिन मनाया जाता है। ये उनकी इच्छा थी कि हर साल 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने के बजाय पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रुप में इस तारिख को याद रखकर मनाना ज्यादा बेहतर होगा। भारत का शिक्षक दिवस दुनिया के शिक्षक दिवस से अलग है जो कि पूरे विश्व में 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।
विवादास्पद होता जा रहा शिक्षक सम्मान/पुरस्कार चयन आखिर क्यों ???
आशा है कि शिक्षक पुरस्कार चयन का विवाद इस दिन के अच्छाई को प्रभावित नहीं करेगा जो कि महान शिक्षाविद और राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है और शिक्षक दिवस की पवित्रता तथा उपयोगिता को विवादों से ठेस नहीं पहुँचेगी।
वैसे विवादों की जड़ की उत्पत्ति वहीं शुरू हो गयी जब सम्मान/पुरस्कार के लिए शिक्षकों को आवेदन करने की जरूरत आन पड़ी यह बड़ी विडम्बना है कि सम्मान कराने के लिए हजारों शिक्षकों ने आवेदन किया और उन तमाम आवेदनों में से कुछ शिक्षकों का चयन किया गया, तो क्या आप सबको नहीं लगता कि जिनका चयन शिक्षक सम्मान/पुरस्कार के लिए हुआ और बाकी आवेदन अस्वीकार हुए उनकी कार्यशैली पर, बच्चों के साथ जुड़ाव पर कहीं न कहीं प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है । यदि सम्मान/पुरस्कार आवेदनों के बिना पर मिलने लगा है तो यह स्वाभाविक सी बात है कि चयन की परिभाषा विवादास्पद हो ही जायेगी, जैसा कि आजकल शिक्षक पुरस्कार के चयन के विवादों पर मीडिया में चर्चा चल निकली है ।
अच्छा तो ये होता कि अगर शिक्षक दिवस सम्मान/पुरस्कार हमेशा गुरु-शिष्य के भावपूर्ण बंधन के प्यार और सम्मान के रुप में बना रहता जैसे कि ये विद्यालयी परिवेश या उससे बाहर हमेशा बना रहता है।
मैं उन शिक्षक भाईयों को दिल से हार्दिक बधाई देता हूं जिनकी सेवा को सम्मानित किया जाना है। मैं आशा करता हूं कि वे सब इस सर्वाधिक नेक पेशे में दूसरों के लिए हमेशा आदर्श बने रहेंगे । मुझे विश्वास है कि हमें इस बात को पहचानने की आवश्यकता है कि आज की सफलताओं का कारण यह है कि शिक्षकों की शिक्षण प्रक्रिया नवीन एवं उनके छात्रों की विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप है। अब चुनौती इन नवीनताओं का अध्ययन करने और उन्हें बरकरार रखने तथा विभिन्न संदर्भों में उनके प्रयोग के लिए उनकी रूपरेखा और विशिष्ट सिद्धांतों को बेहतर बनाने की है। इस प्रक्रिया को शिक्षा प्रणाली के सभी स्तरों पर अपनाये जाने की आवश्यकता है।
राधाकृष्णन अमेरिकी दार्शनिक जॉन डेवी के इन कथनों से यदि सहमत रहे होते कि "शिक्षा सामाजिक प्रगति और सुधार की मौलिक विधि है" और "शारीरिक जीवन के लिए जितना महत्वपूर्ण पोषण और प्रजनन है, उतनी ही महत्वपूर्ण सामाजिक जीवन के लिए शिक्षा है।"
यह चिंता का विषय है कि आज हमारा समाज अपवादों के छोड़कर शिक्षकों को वैसी श्रेष्ठता और मान-सम्मान प्रदान नहीं कर रहा जैसा हम चाहते और सोचते हैं उसमें कहीं न कहीं गैर शैक्षणिक और विवादित भौतिक विषय वस्तुओं से शिक्षकों को जोड़ना भी शामिल है और ये सब विद्यालय के शैक्षणिक पहलू को प्रभावित करते जा रहे हैं, जो शिक्षक के लिए हर पल चिन्ता का विषय बना हुआ है ।
शिक्षक की भर्ती, शिक्षण पद्वति, कार्य निष्पादन मूल्यांकन, प्रोत्साहन और सम्मान/पुरस्कार योजना की मौजूदा व्यवस्था तथा जवाबदेही का ढंग अनेक प्रश्नों को उत्पन्न करता है। दु:ख की बात यह है कि अक्सर मुख्य ध्यान कार्यक्षमता को विकसित करने के बजाए पाठ्यक्रम को पूरा करने पर होता है, इसमें सुधार लाए जाने की बेहद आवश्यकता लगती है ।
- लेख में कुछ विचार अलग से शामिल ।
.........आगे की चर्चा फिर कभी की जायेगी ।
।।।। जय शिक्षक जय भारत ।।।।
1 Comments
📌 MAN KI BAAT : विवादास्पद होता जा रहा शिक्षक सम्मान/पुरस्कार चयन आखिर क्यों ?? आशा है कि शिक्षक पुरस्कार चयन का विवाद इस दिन के अच्छाई को प्रभावित नहीं करेगा जो कि……………………
ReplyDelete👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/09/man-ki-baat_2.html