प्रदेश में मिली मॉडल स्कूलों को हरी झंडी : हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, निजी कालेजों की भागीदारी से खुलेंगे कालेज
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में सार्वजनिक व निजी भागीदारी में मॉडल स्कूल चलाने के राज्य सरकार के फैसले को नीतिगत माना है तथा सरकारी फैसले के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चन्द्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खंडपीठ ने शशांक शेखर पांडेय की जनहित याचिका पर दिया है। केंद्र सरकार ने प्रदेश के पिछड़े 680 विकास खंडों में अंशदायी मॉडल स्कूलों की स्थापना का फैसला किया था जिसे कई चरणों में पूरा किया जाना था। मॉडल स्कूल निर्माण के मद में 75 फीसद खर्च केंद्र सरकार को तथा राज्य सरकार को 25 फीसद खर्च उठाना था। इस योजना के अन्तर्गत 2010-11 में 148, वर्ष 2012-13 में 45, कुल 193 मॉडल स्कूलों के निर्माण को मंजूरी दी गयी। प्रति मॉडल स्कूल के लिए तीन करोड़ दो लाख रुपये स्वीकृत किये गये। भवन निर्माण शुरू हो गया। 191 मॉडल स्कूलों का निर्माण जारी है तथा दो मॉडल स्कूलों के लिए भूमि न मिल पाने के कारण निर्माण शुरू नहीं हुआ है।
केंद्र सरकार ने 2015-16 के बजट में मॉडल स्कूल योजना को डी-लिंक कर दिया तथा इन स्कूलों की जिम्मेदारी राज्य सरकार के जिम्मे छोड़ दी। केंद्र की सहायता बंद होने के बाद राज्य सरकार ने प्राइवेट संस्थाओं की भागीदारी से योजना लागू करने का निर्णय किया है। कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत मसला है। केंद्रीय सहायता बंद होने के बाद योजना को चालू रखने में प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं की मदद लेने में कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
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